तमिलनाडू की छात्रा अनिता की आत्महत्या पर दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने जल्द सुनवाई से किया इंकार
मेडिकल दाखिले के लिए होने वाली NEET यानी राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा के खिलाफ आवाज उठाने वाली 17 साल की दलित छात्रा एस अनिता की आत्महत्या का मामले में दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने जल्द सुनवाई से इंकार कर दिया है |चीफ जस्टिस दिपक मिश्रा ने कहा इस मामले में जल्द सुनवाई की जरूरत नही है।दरअसल वकील जीएस मणि ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर पूरे मामले की न्यायिक जांच की मांग की है। बुधवार को उन्होंने चीफ जस्टिस से मामले की जल्द सुनवाई की मांग की थी।
दरअसल NEET के खिलाफ आवाज उठाने वाली 17 साल की दलित छात्रा एस अनिता की आत्महत्या का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। वकील जी एस मणि ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर पूरे मामले की न्यायिक जांच की मांग की है।
याचिका में कहा गया है कि मद्रास हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में पूरे मामले की जांच हो। इस याचिका में ये भी कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट राज्य सरकार को आदेश दे कि वो राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखें और NEET के खिलाफ किसी तरह का धरना प्रदर्शन, रोड जाम और रेल रोको जैसे प्रदर्शन ना हों। याचिका में ये भी मांग की गई कि कोई भी राजनीतिक पार्टी या लोग सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ प्रदर्शन न करें। मणि ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि वो तमिलनाडू सरकार को आदेश दे कि राज्य के 11 वीं व बारहवीं कक्षा के पाठ्यक्रम को सीबीएसई के अनुरूप बनाए। सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को इस मामले की जल्द सुनवाई की मांग की जा सकती है।
गौरतलब है कि तमिलनाडु की NEET यानी राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने वाली दलित स्टूडेंट अनिता ने खुदखुशी कर ली थी। अनिता 12वीं की टॉपर थी। अनिता तमिलनाडु की अरियालुर जिले की रहने वाली थी।बताया जा रहा है कि 17 वर्षीय अनिता ने आत्म हत्या इसलिए की क्योंकि वो 12वीं की टॉपर होने के बाद भी मेडिकल सीट पाने में सफल नहीं हो पाई थी।
तमिलनाडु ने इस साल राष्ट्रीय पात्रता एवं प्रवेश परीक्षा (NEET) से राज्य को बाहर रखने के लिए अधिसूचना जारी की थी। इसके बाद केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि तमिलनाडु द्वारा हाल ही में जारी अधिसूचना का वह समर्थन नहीं करता। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने राज्य को NEET के आधार पर काउंसिलिंग करने का आदेश दिया था। बताया जा रहा है कि इसी बात से परेशान परेशान अनित ने आत्महत्या कर ली।
अनिता ने NEET पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उसने 12वीं की परीक्षा में 1200 में से 1176 अंक हासिल किए थे। उसने अपनी याचिका में कहा था कि NEET प्रश्न पत्र काफी कठिन था और पूरी तरह से सीबीएसई पर आधारित था। उसने अपनी याचिका में कहा था कि NEET का परीक्षा प्रारुप राज्य के पाठ्यक्रम के छात्रों को साथ न्याय नहीं कर रहा है।
NEET की प्रवेश परीक्षा में अनिता का स्कोर अच्छा नहीं था। वो 700 में से महज 86 अंक ही ले पाई थी। इसी 22 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडू सरकार को ये आदेश दिया था कि राज्य में मेडिकल कॉलेजों मे एडमिशन NEET की प्रवेश परीक्षा के आधार पर ले।गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु में एमबीबीएस और बीडीएस पाठ्यक्रमों में नामांकन के लिए तमिलनाडु सरकार को नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट यानि NEET के तहत मेडिकल काउंसलिंग कराने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि NEET पर तमिलनाडु सरकार के अध्यादेश को मंजूरी नहीं दे सकते। कोर्ट ने कहा कि काउंसलिंग प्रक्रिया 4 सितंबर तक हो जानी चाहिए।