अब धूम धाम से मनेगा मंबई में गणेश विसर्जन, सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई हाईकोर्ट के फैसले पर लगाई रोक

Update: 2017-09-04 11:34 GMT

मुंबई में मंगलवार को गणपति विसर्जन के दौराम धूम धमाके के बीच कानूनी अडचन फिलहाल हट गई है। सुप्रीम कोर्ट ने बोंबे कोर्ट के ध्वनि प्रदूषण मामले में साइलेंस जोन पर जारी आदेश पर रोक लगा दी है।

सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने दो हफ्ते में हाईकोर्ट के याचिकाकर्ता से जवाब भी मांगा है।

मुंबई में बोंबे हाईकोर्ट के साइलेंस जोन पर फैसले को लेकर  सुप्रीम कोर्ट में चुनौती केंद्र सरकार ने दी है

हालांकि अगर हाईकोर्ट का साइलेंस जोन बरकरार रखने का फैसला बरकरार रहता तो गणेश विसर्जन में दिक्कत होती।

दरअसल एक सितंबर  को  ध्वनि प्रदूषण से जुड़े नियमों में बदलाव करने वाले केंद्र सरकार के कदम पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने रोक लगा दी थी। हाईकोर्ट की रोक के बाद सभी अस्पतालों, धार्मिक स्थलों, स्कूल-कॉलेज के 100 मीटर के दायरे वाला क्षेत्र शांत क्षेत्र या साइलेंस जोन बना रहता।

बोंबे हाईकोर्ट के इस फैसले को कानून और राजनीतिक हलकों में केंद्र सरकार और महाराष्ट्र सरकार के लिए करारा झटका माना जा रहा था।

साल 2000 के ध्वनि प्रदूषण संबंधी नियमों में केंद्र सरकार द्वारा किए गए बदलाव को हाई कोर्ट ने असंवैधानिक मानते हुए प्रथम दृष्टया इसे संविधान के अनुच्छेद 21 व 14 के विपरीत बताया था  अर्थात इसे नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन माना गया। हाई कोर्ट ने यह भी कहा था कि सरकार ने कानून में बदलाव करते समय जनहित से जुड़े सिद्धांत का पालन नहीं किया है। कानून में बदलाव करते समय जरूरी है कि लोगों के सुझाव व आपत्तियों को आमंत्रित किया जाए। पर्यावरण कानून के तहत इसे अनिवार्य किया गया है, लेकिन केंद्र सरकार व राज्य सरकार ने इसका पालन नहीं किया।

बोंबे हाईकोर्ट के जस्टिस अभय ओक की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा था कि हर नागरिक को गरिमा व सुख से रहने का अधिकार है। तेज आवाज सुनने के लिए किसी को बाध्य नहीं किया जा सकता और इससे अनेक नागरिक असाध्य रोगों और बीमारियों का शिकार हो जाते हैं।

Similar News