एनआरआई के लिए ई वोटिंग की क्या प्लानिंग है केंद्र हफ्ते भर में बताए: सुप्रीम कोर्ट

Update: 2017-07-14 12:21 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की खिंचाई करते हुए कहा है कि कि उन्हें आखिरी मौका दिया जा रहा है कि वह एक हफ्ते में बताएं कि कैसे वह 25 लाख एनआरआई को भारतीय चुनाव में ई वोट के जरिये भाग लेने की योजना बना रहे हैं। इसके लिए अगले शुक्रवार तक कोर्ट को अवगत कराएं कि क्या प्लानिंग है।



सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जेेएस खेहर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह एक हफ्ते में इस मामले में बताएं कि अगर ऐसी प्लानिंग है तो रिप्रजेंटेशन ऑफ पिपुल एक्ट में इसके लिए क्या बदलाव किए जा रहे हैं।

चीफ जस्टिस ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि ये मामला 2014 से पेंडिंग है। प्रत्येक साल आप करते हैं कि कानून में बदलाव होने जा रहा है। 2014 में ऐसा कहा था फिर 2015 में और फिर 2016 में यही कहा गया था। चीफ जस्टिस खेहर ने केंद्र सरकार के वकील के सामने उक्त टिप्पणी की।


रोहतगी केंद्र सरकार के खिलाफ पेश हुए

पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी केंद्र सरकार के खिलाफ शुक्रवार को पेश हुए। ये पहली बार हुआ जब रोहतगी अटॉर्नी जनरल पद छोड़ने के बाद केंद्र के सामने खड़े हुए। उन्होंने केंद्र पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि केंद्र इस मामले में सिर्फ समय ले रही है। और बार बार कह रही है कि एक्ट में बदलाव के लिए वक्त चाहिए लेकिन वास्तव में सिर्फ रूल्स में बदलाव कीजरूरत है और ये सामान्य प्रक्रिया है।


रोहतगी ने ककहा कि आर्म्ड फोर्स और अन्य डिफेंस पर्सनल को वोटिंग के लिए पोस्टल बैलेट दिया जाता है लेकिन एनआरआई जो ज्यादातर केरल से आते हैं उन्हें वोटिंग के लिए इंडिया आने के लिए कहा जाता है।


पिछले साल दिसंबर में तत्कालीन चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर की बेंच ने केंद्र सरकार से इस बारे में सवाल किया था। याचिकाकर्ता के वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि इलेक्शन कमिशन का प्रस्ताव स्वीकार किए डेढ साल हो गए लेकिन कहा गया कि ड्राफ्ट बिल तैयार किया जा रहा है औरर कोर्ट को कहा गया कि रिप्रजेंटेशन ऑफ पिपुल एख्ट 1951 में बदलाव किया जाएगा।


2013 में केरल बेस्ड दो एनआरआई शमशीर वीपी और नागेंद्र चिंदम जो यूके बेस्ड प्रवासी भारत के चेयरमैन हैं ने पीआईएल दाखिल की थी।


चीफ जस्टिस ने केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील से कहा है कि वह आठ हफ्ते में केंद्र सरकार से निर्देश लेकर अवगत कराएं कि इलेक्शन कमिशन ने रिप्रजेंटेशन ऑफ पिपुल एक्ट 1950 और 51 में बदलवा के लिए को सिफारिश की थी उसके प्रोसेस का क्या स्टेटस है। एक बार ई वोट की इजाजत हो जाएगी तो एऩआरआई को नहीं आना होगा। इस मामले में सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने याचिका पर दिए अपने जवाब में कहा था कि ई पोस्टल वैलेट काफी सेफ है और उसमें हेराफेरी की संभावना नहीं है।


बैकग्राउंड

केंद्र सरकार ने पिछले साल आठ जुलाई को केंद्र सरकार ने ई बैलेट वोटिंग को सैद्धांतिक तौर पर एप्रूव्डड कर दिया था। इलेक्शन कमिशन ने इसके लिए सिफारिश की थी और तब केंद्र सरकार ने एक्ट में बदलाव की प्रक्रिया में है। तब केंद्र ने कहा था कि सिफारिश को सही स्प्रीट से स्वीकार किया गया है। यूनियन कैबिनेट जल्दी ही ड्राफ्ट बिल को देखेगी और फिर उसे सदन के पटल पर रखा जाएगा। इसके बाद केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि इसके लिए दो महीने में प्रयास किया जाए ताकि एनआरआई ई वोटिंग कर पाएं।

Similar News