BREAKING| धारा 52ए NDPS Act का पालन न करना जमानत का आधार नहीं; अनियमित जब्ती साक्ष्य को अस्वीकार्य नहीं बनाती: सुप्रीम कोर्ट
Shahadat
20 Dec 2024 11:13 AM IST
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला पलट दिया, जिसमें कहा गया था कि धारा 52ए के तहत अनिवार्य प्रक्रिया अनिवार्य है। न्यायालय ने कहा कि जब्त की गई नशीली दवाओं या मनोदैहिक पदार्थों के निपटान की प्रक्रिया निर्धारित करने वाली धारा 52ए को शामिल करने का उद्देश्य जब्त प्रतिबंधित पदार्थों और पदार्थों का शीघ्र निपटान सुनिश्चित करना था। इसे 1989 में अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों को लागू करने और उन्हें प्रभावी बनाने के उपायों में से एक के रूप में शामिल किया गया था।
न्यायालय ने कहा:
"धारा 52ए की उपधारा 2 उपधारा 1 में वर्णित प्रक्रिया निर्धारित करती है। इसलिए कोई भी चूक या देरी केवल प्रक्रियागत अनियमितता होगी। जांच के दौरान या उसके बाद तलाशी या जब्ती करने में पाई गई कोई भी प्रक्रियागत अनियमितता अपने आप में पूरे साक्ष्य को अस्वीकार्य नहीं बनाती। न्यायालय को सभी परिस्थितियों पर विचार करना होगा। धारा 52ए के अनुपालन में कोई भी प्रथम दृष्टया देरी या चूक अपने आप में अभियुक्त को जमानत पर रिहा करने का आधार नहीं होगी, जब तक कि धारा 37(1)(बी) के तहत अनिवार्य शर्तें पूरी नहीं हो जातीं।"
यह भी माना गया कि अभियुक्त को जमानत देते समय न्यायालय को अधिनियम की धारा 37 के प्रावधानों पर विचार करना चाहिए, जो प्रकृति में अनिवार्य हैं।
न्यायालय ने कहा,
"धारा 37 में निष्कर्षों को अनिवार्य रूप से दर्ज करना अधिनियम के तहत अपराधों में शामिल अभियुक्तों को जमानत देने के लिए अनिवार्य है।"
जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने दिल्ली हाईकोर्ट के 18 मई के आदेश के खिलाफ नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) द्वारा दायर अपील में यह फैसला सुनाया।
18 मई को हाईकोर्ट के जज जस्टिस जसमीत सिंह ने काशिफ नामक व्यक्ति को जमानत देते हुए कहा कि नारकोटिक्स ड्रग्स एंड सब्सटेंस एक्ट, 1985 (NDPS Act) के तहत जब्त किए गए मादक दवाओं या मनोदैहिक पदार्थों के सैंपल 72 घंटे के भीतर लैब को भेजे जाने चाहिए। हाईकोर्ट के फैसले में यह भी कहा गया कि सैंपल मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में धारा 52ए के तहत लिए जाने चाहिए।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने काशिफ को दी गई जमानत रद्द नहीं की। हाईकोर्ट को फिर से फैसला करने के लिए 4 सप्ताह का समय दिया।
केस टाइटल: नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो बनाम काशिफ, एसएलपी (सीआरएल) संख्या 12120/2024