अपीलीय चरण में जमानत के लिए दोषी को आधी सजा काटनी होगी, ऐसा कोई कठोर नियम नहीं: सुप्रीम कोर्ट

Shahadat

12 Feb 2025 4:16 AM

  • अपीलीय चरण में जमानत के लिए दोषी को आधी सजा काटनी होगी, ऐसा कोई कठोर नियम नहीं: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अपील के लंबित रहने के दौरान सजा निलंबित करने के लिए यह कठोर नियम लागू नहीं किया जा सकता कि दोषी को आधी सजा काटनी होगी। यदि राहत देने का मामला गुण-दोष के आधार पर बनता है, तो अपीलीय अदालत जमानत दे सकती है या सजा निलंबित कर सकती है।

    जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस उज्ज्वल भुयान की खंडपीठ ने दोषी की सजा निलंबित करने के हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) द्वारा दायर अपील खारिज करते हुए यह महत्वपूर्ण टिप्पणी की। दोषी को नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट (NDPS Act) के तहत अपराध के लिए 10 साल के कारावास की सजा सुनाई गई।

    हाईकोर्ट ने कहा कि उसने काफी समय तक कारावास (4.5 वर्ष) काटा है। NCB ने तर्क दिया कि हाईकोर्ट सजा निलंबित नहीं कर सकता, क्योंकि आरोपी ने आधी सजा नहीं काटी थी।

    NCB की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने तर्क दिया कि जब तक प्रतिवादी ने आधी अवधि तक सजा नहीं काटी है, तब तक वह दोषसिद्धि के खिलाफ अपील की अंतिम सुनवाई तक जमानत पाने का हकदार नहीं है। विचाराधीन कैदियों बनाम भारत संघ एवं अन्य (1994) 6 एससीसी 731 का प्रतिनिधित्व करने वाली सुप्रीम कोर्ट लीगल एड कमेटी के फैसले पर भरोसा किया गया।

    खंडपीठ ने कहा कि कुछ मामलों में अपनी सजा का आधा हिस्सा काट चुके कैदियों को रिहा करने के उक्त फैसले में दिए गए निर्देश का उद्देश्य जेलों में भीड़भाड़ की समस्या का समाधान करने के लिए एक बार के उपाय के रूप में था।

    न्यायालय ने कहा,

    "जारी किए गए निर्देश एक बार के उपाय के रूप में थे। यह निर्णय न्यायालय की नियमित जमानत देने की शक्ति को नहीं छीनता है, भले ही कैदी द्वारा काटी गई अवधि उक्त निर्णय में दिए गए प्रावधान से कम हो। इस न्यायालय के फैसले का यह अर्थ नहीं लगाया जा सकता कि न्यायालय की जमानत देने की शक्ति कम कर दी गई।"

    न्यायालय ने आगे कहा,

    "यदि हम इस न्यायालय के निर्णय की इस प्रकार व्याख्या करते हैं तो न्यायालय जमानत देने या सजा के निलंबन से राहत देने में असमर्थ होंगे, भले ही मामला गुण-दोष के आधार पर बनाया गया हो। इसलिए हमारे विचार में यदि गुण-दोष के आधार पर योग्य मामलों में सजा के निलंबन और/या जमानत देने का मामला बनता है तो न्यायालय अपील लंबित रहने तक सजा के निलंबन और जमानत से राहत देने में असमर्थ नहीं है, भले ही अभियुक्त ने आधी सजा नहीं काटी हो। ऐसा कोई सामान्य नियम नहीं हो सकता कि दोषी को दोषसिद्धि के विरुद्ध अपील लंबित रहने तक जमानत पर रिहा नहीं किया जा सकता, जब तक कि उसने आधी सजा नहीं काटी हो।"

    केस टाइटल: नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो बनाम लखविंदर सिंह

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