जमानत याचिका खारिज करते समय जांच को CBI को ट्रांसफर करने का आदेश नहीं दिया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट
Shahadat
24 Oct 2024 10:00 AM IST
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 439 के तहत दायर जमानत याचिका पर विचार करते समय कोर्ट जांच को किसी अन्य एजेंसी को ट्रांसफर नहीं कर सकता।
कोर्ट ने कहा,
“यह कहना पर्याप्त है कि अपीलकर्ता द्वारा दायर जमानत याचिका खारिज करते समय हाईकोर्ट को जांच CBI को ट्रांसफर नहीं करना चाहिए था। निर्देश वस्तुतः नए सिरे से जांच करने का है। अपीलकर्ता द्वारा दायर जमानत याचिका को खारिज करते समय ऐसा निर्देश जारी नहीं किया जा सकता था।”
जस्टिस अभय ओक और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ ने आरोपी की जमानत याचिका खारिज करते हुए हत्या के एक मामले में जांच को CBI को ट्रांसफर करने के राजस्थान हाईकोर्ट का फैसला खारिज कर दिया।
राजस्थान हाईकोर्ट ने यह देखते हुए जांच को राज्य पुलिस और CID से CBI को ट्रांसफर कर दिया था कि जांच में गड़बड़ी है और इसने “न्यायिक विवेक को चोट पहुंचाई है।”
हाईकोर्ट ने जमानत याचिका खारिज करते हुए जांच ट्रांसफर करने का आदेश दिया था। इस प्रकार, आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने तर्क दिया कि जब हाईकोर्ट ने CBI को नए सिरे से जांच का आदेश दिया था, तब मुकदमा पहले ही आधे रास्ते पर पहुंच चुका था। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने जांच ट्रांसफर करने का काम अपने ऊपर ले लिया। उन्होंने आगे कहा कि याचिकाकर्ता एक साल से अधिक समय से जेल में है।
CBI की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि एजेंसी हाईकोर्ट के समक्ष नहीं थी और उसने केवल आदेश का अनुपालन किया था। उन्होंने कहा कि CBI ने मामला दर्ज तो किया था, लेकिन आगे नहीं बढ़ी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट को सीआरपीसी की धारा 439 के तहत अपीलकर्ता की जमानत याचिका खारिज करते समय जांच CBI को ट्रासंफर नहीं करनी चाहिए थी।
जस्टिस ओक ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी की,
"जमानत याचिका खारिज करते समय क्या हाईकोर्ट मामला CBI को भेज सकता है? यह किस तरह का आदेश है? यह सीआरपीसी की धारा 439 के तहत आवेदन है। जमानत याचिका में जांच का ट्रांसफर नहीं किया जा सकता है।"
सुप्रीम कोर्ट ने मुकदमे में हुई प्रगति पर भी ध्यान दिया। उद्धृत 67 गवाहों में से 14 की जांच की जा चुकी थी और राज्य ने जवाबी हलफनामा दायर किया था। पीठ ने कहा कि पोस्टमार्टम नोट्स और मेडिकल अधिकारी द्वारा उपलब्ध कराए गए साक्ष्य की समीक्षा करने के बाद यह संतुष्ट था कि अपीलकर्ता ने जमानत दिए जाने का मामला बनाया था। इसके अतिरिक्त, राज्य के जवाबी हलफनामे में अपीलकर्ता के किसी भी पूर्ववृत्त का उल्लेख नहीं किया गया था।
तदनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने जमानत आवेदन खारिज करने और जांच CBI को ट्रांसफर करने का विवादित फैसला खारिज कर दिया। न्यायालय ने निर्देश दिया कि अपीलकर्ता को एक सप्ताह के भीतर ट्रायल कोर्ट के समक्ष पेश किया जाए और ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया गया कि वह अपीलकर्ता को ट्रायल के समापन तक उचित नियमों और शर्तों के अधीन जमानत पर बढ़ाए।
केस टाइटल- अभिषेक और अन्य बनाम राजस्थान राज्य और अन्य।