'राजनीतिक दल में शामिल होना कोई नौकरी नहीं': सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों को POSH Act से बाहर रखने का आदेश बरकरार रखा
Shahadat
15 Sept 2025 1:58 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार किया, जिसमें कहा गया था कि POSH Act 2013 के अनुसार यौन उत्पीड़न की शिकायतों के समाधान के लिए राजनीतिक दलों के लिए आंतरिक शिकायत समिति गठित करना अनिवार्य नहीं है। कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि किसी राजनीतिक दल में शामिल होने वाले लोग उसके अधीन नहीं होते।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई, जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस एएस चंदुरकर की पीठ केरल हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कहा गया था कि कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 (POSH Act) के अनुसार राजनीतिक दल आंतरिक शिकायत समिति गठित करने के लिए कानूनी रूप से उत्तरदायी नहीं हैं, क्योंकि उनके सदस्यों के बीच कोई नियोक्ता-कर्मचारी संबंध नहीं है।
याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट शोभा गुप्ता ने दलील दी कि हाईकोर्ट ने 'पीड़ित महिला' की व्यापक परिभाषा को नज़रअंदाज़ किया, जो यौन उत्पीड़न के खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकती है।
उल्लेखनीय है कि Act की धारा 2 (ए) (i) 'पीड़ित महिला' को "कार्यस्थल के संबंध में किसी भी उम्र की, चाहे वह कार्यरत हो या न हो, ऐसी महिला के रूप में परिभाषित करती है, जिसका आरोप है कि प्रतिवादी ने उसके साथ यौन उत्पीड़न किया।"
गुप्ता ने तर्क दिया कि POSH Act के अनुसार, शिकायत दर्ज कराने के लिए किसी महिला का संगठन में कार्यरत होना आवश्यक नहीं है।
हालांकि, चीफ जस्टिस ने यह पूछते हुए हस्तक्षेप किया,
"आप राजनीतिक दलों को कार्यस्थल पर कैसे रखते हैं?" यह देखते हुए कि राजनीतिक दल किसी को भी नियुक्त नहीं करते हैं।
गुप्ता ने ज़ोर देकर कहा कि राजनीतिक दल अभी भी एक संगठित व्यवस्था में काम करते हैं।
उन्होंने कहा,
"उनका एक संगठन है।"
उल्लेखनीय है कि POSH Act की धारा 4 आंतरिक शिकायत समिति के गठन का विवरण देती है। धारा 4 (1) में कहा गया: कार्यस्थल का प्रत्येक नियोक्ता लिखित आदेश द्वारा समिति गठित करेगा, जिसे "आंतरिक शिकायत समिति" के नाम से जाना जाएगा:
बशर्ते कि जहां कार्यस्थल के कार्यालय या प्रशासनिक इकाइयां अलग-अलग स्थानों या संभागीय या उप-संभागीय स्तर पर स्थित हों, वहां सभी प्रशासनिक इकाइयों या कार्यालयों में आंतरिक समिति का गठन किया जाएगा।
याचिका पर आगे विचार करने से स्पष्ट रूप से विमुख चीफ जस्टिस ने मौखिक रूप से कहा,
"जब कोई व्यक्ति किसी राजनीतिक दल में शामिल होता है तो वह नौकरी नहीं होती। वहां कोई भुगतान नहीं होता।"
पीठ ने एडवोकेट योगमाया द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका भी खारिज कर दी। इससे पहले, इसी याचिकाकर्ता ने राजनीतिक दलों को POSH Act के तहत लाने की मांग करते हुए एक जनहित याचिका दायर की थी। उक्त जनहित याचिका को केरल हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने की स्वतंत्रता के साथ वापस ले लिया गया था।
यह याचिका AoR श्रीराम परक्कट के माध्यम से दायर की गई थी।

