अभियुक्त के प्रति कोई पूर्वाग्रह न उत्पन्न हुआ हो तो संज्ञान के बाद शिकायत में संशोधन किया जा सकता है: सुप्रीम कोर्ट
Shahadat
26 July 2025 2:01 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि संज्ञान के बाद शिकायत में संशोधन किया जा सकता है, बशर्ते कि अभियुक्त के प्रति कोई 'पूर्वाग्रह' न उत्पन्न हुआ हो और शिकायतकर्ता की क्रॉस एक्जामिनेशन का इंतज़ार किया जा रहा हो।
जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ने परक्राम्य लिखत अधिनियम, 1881 (IN Act) की धारा 138 के तहत शिकायत में संशोधन करने के शिकायतकर्ता के अनुरोध स्वीकार कर लिया। खंडपीठ ने कहा कि कोई जिरह पूरी नहीं हुई और "देसी घी (दूध उत्पाद)" को "दूध" में बदलने का सुधार टाइपोग्राफिकल त्रुटि थी, जो कानूनी नोटिस और शिकायत दोनों में दिखाई दे रही थी, जिससे अभियुक्त के प्रति कोई पूर्वाग्रह नहीं था।
अदालत ने कहा,
"हमने शिकायत और संशोधन आवेदन का ध्यानपूर्वक अध्ययन किया। संशोधन उस समय किया गया जब प्रतिवादियों को समन जारी होने के बाद शिकायतकर्ता की मुख्य परीक्षा समाप्त हो चुकी थी और क्रॉस एक्जामिनेशन का इंतज़ार था। संशोधन केवल आपूर्ति किए गए उत्पादों के संबंध में किया गया। शिकायतकर्ता के अनुसार, आपूर्ति की गई वस्तु "दूध" थी, लेकिन अनजाने में हुई गलती से "देसी घी (दूध उत्पाद)" लिख दिया गया। कानूनी नोटिस में जो त्रुटि हुई थी, वही शिकायत में भी दर्ज की गई।"
अदालत ने आगे कहा,
"हमारा मानना है कि अभियुक्तों/प्रतिवादियों को किसी भी प्रकार का कोई नुकसान नहीं होगा। मुकदमे के दौरान वास्तविक तथ्यों पर गहन विचार किया जाएगा। संशोधन का ऋण या अन्य देनदारियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा, यह साक्ष्यों के आधार पर निचली अदालत को तय करना है। यह एक सुधार योग्य अनियमितता थी, जिसे निचली अदालत ने संशोधन की अनुमति देकर सही ढंग से संबोधित किया। यह नहीं कहा जा सकता कि ऐसे समय में संशोधन की अनुमति देने से, जब शिकायतकर्ता के साक्ष्य अधूरे हैं, न्याय में विफलता होगी।"
आर. सुकुमार बनाम एस. सुनाद रघुराम (2015) 9 एससीसी 609 और धारा 216 और 217 सीआरपीसी से मार्गदर्शन लेते हुए जस्टिस विश्वनाथन द्वारा लिखित निर्णय में कहा गया कि परिवर्तन/संशोधन की अवधारणा कानून से अलग नहीं है। यदि संशोधन शिकायत की प्रकृति को नहीं बदलते हैं या अभियुक्त के प्रति पूर्वाग्रह पैदा नहीं करते हैं, तो संज्ञान के बाद उन पर रोक नहीं है।
परिणामस्वरूप, अपील स्वीकार कर ली गई और विवादित आदेश रद्द कर दिया गया।
Cause Title: Bansal Milk Chilling Centre VERSUS Rana Milk Food Private Ltd. & Anr.

