नगर परिषद अध्यक्ष से आपत्तिजनक वीडियो के जरिए शोषण के आरोपी को एमपी हाईकोर्ट से जमानत
Praveen Mishra
5 Nov 2025 3:42 PM IST

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति को जमानत दे दी है, जिस पर एक नगर परिषद अध्यक्ष महिला के साथ बलात्कार, जबरन वसूली (extortion) और आपत्तिजनक वीडियो व फोटो के जरिए धमकाने (criminal intimidation) का आरोप है। अदालत ने कहा कि दोनों पक्ष एक-दूसरे से भलीभांति परिचित थे।
जस्टिस देवनारायण मिश्रा की एकल पीठ ने कहा —
“रिकॉर्ड पर लाए गए तथ्यों और परिस्थितियों तथा आवेदक के वकील द्वारा प्रस्तुत सामग्री को देखने से स्पष्ट है कि दोनों पक्ष एक-दूसरे को अच्छी तरह जानते थे। इसलिए, मामले के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी किए बिना यह जमानत आवेदन स्वीकार किया जाता है।”
यह आवेदक की तीसरी जमानत याचिका थी, जो एक एफआईआर में दर्ज अपराधों — बलात्कार (धारा 64(1)), मृत्यु या गंभीर चोट के भय से जबरन वसूली (धारा 308(5)), सार्वजनिक स्थान पर अश्लील हरकतें (धारा 296) और आपराधिक धमकी (धारा 351(3)) — से संबंधित थी।
वह 13 जनवरी 2025 से न्यायिक हिरासत में था।
आवेदक के वकील ने तर्क दिया कि शिकायतकर्ता (महिला) एक शिक्षित महिला हैं और एक निर्वाचित नगर परिषद अध्यक्ष हैं। साथ ही यह भी कहा गया कि आवेदक और महिला के बीच प्रेम संबंध था।
वकील ने बताया कि शिकायतकर्ता के पति ने नवंबर 2024 में हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13 के तहत तलाक की याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने अपनी पत्नी पर आवेदक के साथ अवैध संबंध का आरोप लगाया था। हालांकि, अगस्त 2025 में वह तलाक मामला गैर-उपस्थिति (non-prosecution) के कारण खारिज हो गया।
आवेदक की ओर से यह भी कहा गया कि महिला के पति ने ही उसे एफआईआर दर्ज करने के लिए मजबूर किया और झूठे रूप से जबरन वसूली का आरोप लगाया।
वकील ने यह भी बताया कि आवेदक पहले एक अन्य बलात्कार मामले में बरी (acquitted) हो चुका है, जहाँ ट्रायल कोर्ट ने संबंध को “आपसी सहमति से बना हुआ” माना था।
वहीं, राज्य की ओर से कहा गया कि महिला की आपत्तिजनक तस्वीरें और वीडियो आवेदक के मोबाइल फोन से बरामद हुए हैं।
राज्य पक्ष का तर्क था कि इन सामग्रियों का उपयोग कर आरोपी ने महिला का यौन शोषण किया, लेकिन महिला ने सामाजिक दबाव के कारण शिकायत नहीं की।
राज्य ने यह भी बताया कि आरोपी का आपराधिक इतिहास है — उसने पहले एक सरकारी अधिकारी पर हमला किया था और उस अपराध में दोषी भी ठहराया गया था।
अदालत ने समस्त साक्ष्यों पर विचार करने के बाद पाया कि दोनों पक्ष एक-दूसरे को पहले से जानते थे, और इस आधार पर आवेदक को कुछ शर्तों के साथ जमानत दे दी।

