जमानत मांगने आए आरोपी पर हाईकोर्ट ने लगाई अजीब शर्तें, कहा- सोशल मीडिया पासवर्ड बताए, जांच अधिकारी द्वारा मांगे जाने पर बॉडी फ्लूड, ब्लड सैंपल उपलब्ध कराए

Shahadat

3 March 2025 4:06 AM

  • जमानत मांगने आए आरोपी पर हाईकोर्ट ने लगाई अजीब शर्तें, कहा- सोशल मीडिया पासवर्ड बताए, जांच अधिकारी द्वारा मांगे जाने पर बॉडी फ्लूड, ब्लड सैंपल उपलब्ध कराए

    भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 69 के तहत गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को अग्रिम जमानत देते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में उस पर जमानत के लिए कुछ असामान्य शर्तें लगाईं।

    जस्टिस देवनारायण मिश्रा की पीठ ने आरोपी (मुरली मनोहर सोनी) को जांच एजेंसी के साथ सहयोग करने, लैपटॉप और मोबाइल जैसे सभी इलेक्ट्रॉनिक गैजेट जमा करने और फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप आदि जैसे सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए अपने पासवर्ड का खुलासा करने का निर्देश दिया।

    दिलचस्प बात यह है कि पीठ ने उसे पुलिस अधिकारियों द्वारा मांगे जाने पर बॉडी फ्लूड और ब्लड सैंपल देने का भी निर्देश दिया।

    BNS की धारा 69, 118(1) और 351(2) के तहत आरोपी आवेदक ने राहत की मांग करते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उसने दलील दी कि पीड़िता के साथ उसके सहमति से संबंध थे और उनके बीच झगड़े के कारण पीड़िता ने उसके खिलाफ FIR दर्ज कराई।

    दूसरी ओर, आपत्तिकर्ता के वकील ने दलील दी कि आवेदक पीड़िता को धमका रहा था और धमकी के आधार पर उसने उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। इसलिए अग्रिम जमानत का कोई मामला नहीं बनता।

    राज्य की ओर से पेश वकील ने भी अग्रिम जमानत याचिका का विरोध किया और दलील दी कि एमएलसी रिपोर्ट के अनुसार यह स्पष्ट है कि पीड़िता पर हमला किया गया। उसके सिर, हाथ और पेट पर चोटें आई थीं। हालांकि, मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए, साथ ही इस तथ्य को देखते हुए कि आवेदक से हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता नहीं है, अदालत ने आवेदक को अग्रिम जमानत पर रिहा करना उचित समझा।

    इस प्रकार, हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि गिरफ्तारी की स्थिति में उसे 50,000/- रुपये के निजी मुचलके पर जमानत पर रिहा किया जाएगा, बशर्ते कि निम्नलिखित शर्तें हों:

    “1. आवेदक को जांच एजेंसी के साथ सहयोग करने का निर्देश दिया जाता है। उसे लैपटॉप, मोबाइल जैसे सभी इलेक्ट्रॉनिक गैजेट जमा करने होंगे और एजेंसी को फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप आदि जैसे सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का पासवर्ड भी बताना होगा। पुलिस अधिकारियों द्वारा मांगे जाने पर उसे अपने शरीर के तरल पदार्थ और रक्त के नमूने भी देने होंगे।

    2. आवेदक को निर्देश दिया जाता है कि वह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पीड़िता या मामले में गवाह बनने वाले किसी अन्य व्यक्ति के साथ कोई संबंध नहीं बनाएगा और न ही उसे प्रेरित या धमकाएगा।”

    बता दें कि पिछले महीने इसी पीठ ने बलात्कार के आरोपी को अग्रिम जमानत देते हुए उसे अपने सभी इलेक्ट्रॉनिक गैजेट और अपने सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का पासवर्ड जांच एजेंसी को सौंपने का निर्देश दिया था।

    गौरतलब है कि BNSS की धारा 482 (2) में यह प्रावधान है कि जब हाईकोर्ट या सत्र न्यायालय किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी पर उसे रिहा करने का निर्देश देता है तो वह विशेष मामले के तथ्यों के आलोक में ऐसे निर्देशों में ऐसी शर्तें शामिल कर सकता है।

    केस टाइटल- मुरली मनोहर सोनी बनाम मध्य प्रदेश राज्य

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