मजिस्ट्रेट की शक्ति - हस्ताक्षर, हस्तलिपि या आवाज़ के नमूने देने का आदेश : धारा 349, BNSS 2023
Himanshu Mishra
30 Jan 2025 11:50 AM

किसी भी अपराध की जांच (Investigation) में साक्ष्य (Evidence) की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। अपराधी को पहचानने और उसके अपराध को साबित करने के लिए कई प्रकार के वैज्ञानिक तरीकों (Forensic Methods) का उपयोग किया जाता है।
इन तरीकों में हस्ताक्षर (Signature), हस्तलिपि (Handwriting), आवाज़ (Voice Sample), और उंगलियों के निशान (Finger Impressions) शामिल हैं।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023 - BNSS, 2023) की धारा 349 के तहत प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट (First-Class Magistrate) को यह अधिकार दिया गया है कि वह किसी भी व्यक्ति, जिसमें अभियुक्त (Accused) भी शामिल है, को उसके हस्ताक्षर, उंगलियों के निशान, हस्तलिपि या आवाज़ के नमूने देने का आदेश दे सकता है, यदि यह जांच या कानूनी कार्यवाही (Legal Proceedings) के लिए आवश्यक हो।
यह लेख धारा 349 के विभिन्न पहलुओं को विस्तृत रूप में समझाएगा, जिसमें इसकी कानूनी व्याख्या (Legal Interpretation), न्यायिक फैसले (Judicial Decisions), व्यवहारिक उदाहरण (Practical Illustrations), और इसकी सीमाएँ (Limitations) शामिल होंगी।
साथ ही, हम इसकी तुलना पूर्ववर्ती दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (Criminal Procedure Code, 1973 - CrPC, 1973) से भी करेंगे।
धारा 349: प्रावधान और क्षेत्र (Section 349: Provisions and Scope)
धारा 349 के अनुसार, मजिस्ट्रेट को किसी व्यक्ति को उसके हस्ताक्षर, हस्तलिपि, आवाज़ या उंगलियों के निशान देने का आदेश देने की शक्ति दी गई है, बशर्ते कि यह किसी जांच या कानूनी प्रक्रिया में सहायक हो।
मुख्य प्रावधान (Key Provisions)
1. मजिस्ट्रेट की शक्ति (Power of Magistrate) – प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट किसी भी व्यक्ति को वैज्ञानिक साक्ष्य देने का आदेश दे सकता है, यदि वह इसे आवश्यक समझे।
2. किसी भी व्यक्ति पर लागू (Applicable to Any Person) – यह प्रावधान अभियुक्त (Accused) और अन्य व्यक्तियों, दोनों पर लागू होता है।
3. उपस्थिति अनिवार्य (Compulsory Appearance) – व्यक्ति को मजिस्ट्रेट के आदेश के अनुसार दिए गए समय और स्थान पर उपस्थित होकर नमूने देने होंगे।
4. पहले गिरफ्तारी आवश्यक (Prior Arrest Required) – सामान्यतः, मजिस्ट्रेट तभी आदेश दे सकता है, जब व्यक्ति को किसी जांच में पहले कभी गिरफ्तार किया गया हो।
5. गिरफ्तारी के बिना आदेश (Order Without Arrest) – यदि मजिस्ट्रेट उचित कारण दर्ज करता है, तो वह बिना गिरफ्तारी के भी व्यक्ति को नमूने देने का आदेश दे सकता है।
यह प्रावधान न्यायिक प्रक्रिया (Judicial Process) को वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर मजबूत करता है और यह सुनिश्चित करता है कि किसी व्यक्ति को अनावश्यक रूप से परेशान न किया जाए।
CrPC, 1973 की धारा 311A और BNSS, 2023 की धारा 349 के बीच अंतर (Difference Between CrPC Section 311A and BNSS Section 349)
BNSS, 2023 लागू होने से पहले, CrPC, 1973 की धारा 311A में अभियुक्त के हस्ताक्षर और हस्तलिपि के नमूने लेने का प्रावधान था। लेकिन BNSS, 2023 की धारा 349 इसे और विस्तारित करती है।
विशेषता (Feature) धारा 349 (BNSS, 2023) धारा 311A (CrPC, 1973)
किस पर लागू कोई भी व्यक्ति, अभियुक्त भी शामिल केवल अभियुक्त
कौन-कौन से नमूने लिए जा सकते हैं हस्ताक्षर, हस्तलिपि, आवाज़, उंगलियों के निशान केवल हस्ताक्षर और हस्तलिपि
गिरफ्तारी की शर्त सामान्यतः आवश्यक, लेकिन मजिस्ट्रेट कारण दर्ज कर बिना गिरफ्तारी के भी आदेश दे सकता है गिरफ्तारी की कोई विशेष शर्त नहीं थी
उद्देश्य वैज्ञानिक साक्ष्यों को विस्तारित करना सीमित उपयोग में लाने के लिए
BNSS, 2023 में आवाज़ और उंगलियों के निशान जैसे महत्वपूर्ण नमूने जोड़ने से आधुनिक फोरेंसिक जांच में बड़ी सुविधा मिलेगी।
धारा 349 के व्यावहारिक उपयोग (Practical Applications of Section 349)
1. जालसाजी (Forgery) मामलों में हस्ताक्षर और हस्तलिपि का मिलान
अगर किसी व्यक्ति पर दस्तावेज़ों की जालसाजी (Forgery of Documents) का आरोप है, तो न्यायालय उसके हस्ताक्षर या हस्तलिपि का नमूना लेने का आदेश दे सकता है।
उदाहरण (Example) – एक बैंक धोखाधड़ी में आरोपी पर फर्जी हस्ताक्षर करने का आरोप है। कोर्ट उसे उसके हस्ताक्षर का नमूना देने का आदेश देती है ताकि फॉरेंसिक लैब में तुलना की जा सके।
2. साइबर अपराध और आतंकवाद (Cyber Crime and Terrorism) में आवाज़ के नमूने का उपयोग
आधुनिक तकनीक में आवाज़ के विश्लेषण (Voice Analysis) का बहुत महत्व है।
उदाहरण (Example) – पुलिस को फिरौती की कॉल का रिकॉर्डिंग मिलती है, लेकिन आरोपी इससे इनकार करता है। कोर्ट आरोपी को आवाज़ का नमूना देने का आदेश देती है, ताकि फॉरेंसिक जांच में तुलना की जा सके।
3. चोरी और हत्या मामलों में उंगलियों के निशान का मिलान
अगर किसी अपराध स्थल पर उंगलियों के निशान (Fingerprints) पाए जाते हैं, तो जांच एजेंसी आरोपी से मिलान कर सकती है।
उदाहरण (Example) – पुलिस को एक लूट की जगह से संदिग्ध उंगलियों के निशान मिलते हैं। कोर्ट आरोपी को उंगलियों के निशान का नमूना देने का आदेश देती है।
न्यायिक व्याख्या (Judicial Interpretations)
भारतीय न्यायालयों ने कई मामलों में स्पष्ट किया है कि हस्ताक्षर, हस्तलिपि, और आवाज़ के नमूने लेने का आदेश संविधान के तहत स्व-अपराधीकरण (Self-Incrimination) के अधिकार (Article 20(3)) का उल्लंघन नहीं करता।
1. State of Uttar Pradesh v. Ram Babu Misra (1980)
सुप्रीम कोर्ट ने माना कि हस्ताक्षर और हस्तलिपि नमूने तभी लिए जा सकते हैं जब कानून में विशेष प्रावधान हो।
2. Ritesh Sinha v. State of Uttar Pradesh (2019)
कोर्ट ने फैसला दिया कि आवाज़ का नमूना आत्म-अपराधीकरण (Self-Incrimination) के अधिकार के दायरे में नहीं आता, क्योंकि यह केवल एक भौतिक साक्ष्य (Physical Evidence) है।
धारा 349 की सीमाएँ और सुरक्षा उपाय (Limitations and Safeguards)
हालांकि यह प्रावधान जांच के लिए अत्यंत आवश्यक है, लेकिन इसका दुरुपयोग न हो, इसलिए कुछ सुरक्षा उपाय (Safeguards) भी जोड़े गए हैं:
1. मजिस्ट्रेट द्वारा नियंत्रण (Judicial Oversight) – केवल प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट ही यह आदेश जारी कर सकते हैं।
2. बिना गिरफ्तारी आदेश देने के लिए कारण दर्ज करना अनिवार्य (Written Justification for Non-Arrest Orders)।
3. अनावश्यक उत्पीड़न पर रोक (Prevention of Harassment) – किसी भी व्यक्ति को गैर-आवश्यक रूप से परेशान नहीं किया जा सकता।
धारा 349 (BNSS, 2023) आपराधिक जांच में एक महत्वपूर्ण प्रावधान है, जो वैज्ञानिक साक्ष्य (Forensic Evidence) को बढ़ावा देता है। यह CrPC, 1973 की धारा 311A से अधिक व्यापक है और आधुनिक जांच पद्धतियों के अनुरूप है। हालांकि, इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए न्यायिक निगरानी (Judicial Oversight) और उचित प्रक्रियाओं का पालन आवश्यक है।