S.173 BNSS | संज्ञेय अपराध होने पर विदेश से भेजी गई शिकायत पर पुलिस FIR दर्ज करने से इनकार नहीं कर सकती: केरल हाईकोर्ट
Shahadat
1 July 2025 4:12 PM IST

केरल हाईकोर्ट ने माना कि अगर संज्ञेय अपराध होने पर पुलिस FIR दर्ज करने से इनकार नहीं कर सकती, भले ही शिकायत विदेश से भेजी गई हो।
मामले के तथ्य
याचिकाकर्ता भारतीय नागरिक है, जो ऑस्ट्रेलिया में रहती है। 2020 में उसने अपने पति के खिलाफ शिकायत भेजी थी (अनुलग्नक A7), जिसे केरल के पुलिस महानिदेशक (DGP) को ईमेल किया गया। भले ही DGP ने शिकायत को मुत्तोम पुलिस स्टेशन को भेज दिया था, जो कि अधिकार क्षेत्र वाला पुलिस स्टेशन है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।
इसके बाद स्टेशन हाउस ऑफिस (SHO) ने याचिकाकर्ता को पत्र (अनुलग्नक A9) द्वारा सूचित किया कि ई-मेल के माध्यम से भेजी गई अहस्ताक्षरित शिकायत स्वीकार नहीं की जा सकती है और चूंकि याचिकाकर्ता ऑस्ट्रेलिया में रहती है, इसलिए उसकी व्यक्तिगत उपस्थिति सुनिश्चित नहीं की जा सकती है।
पुलिस द्वारा शिकायत दर्ज करने में निष्क्रियता से व्यथित होकर याचिकाकर्ता ने अनुलग्नक A9 को चुनौती देते हुए याचिका दायर की।
मामले में निर्णय
जस्टिस डॉ. कौसर एडप्पागथ ने अपने फैसले में कहा कि भारतीय न्याय संहिता (BNSS), 2023 की धारा 173 के आधार पर 'जीरो FIR' की अवधारणा को वैधानिक मान्यता दी गई।
न्यायालय ने कहा,
“जीरो FIR की शुरुआत इस प्राथमिक उद्देश्य से की गई कि पीड़ित चाहे किसी भी क्षेत्र में शिकायत दर्ज करा सकें। इसलिए अगर शिकायत में संज्ञेय अपराध का उल्लेख है तो पुलिस FIR दर्ज करने से इनकार नहीं कर सकती, भले ही शिकायत किसी विदेशी देश से भेजी गई हो।”
बता दें, BNSS की धारा 173 के अनुसार, किसी पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी का कर्तव्य है कि वह किसी भी क्षेत्र में संज्ञेय अपराध के होने से संबंधित सूचना दर्ज करे, चाहे वह सूचना मौखिक रूप से दी गई हो या इलेक्ट्रॉनिक रूप से।
याचिकाकर्ता द्वारा दी गई इस दलील के आधार पर कि वह एक नई शिकायत देने के लिए तैयार है, एकल जज ने याचिका का निपटारा कर दिया। हालांकि, मुत्तोम पुलिस स्टेशन के एसएचओ को स्पष्ट निर्देश दिया गया कि वह याचिकाकर्ता द्वारा की गई शिकायत, यदि कोई हो, पर BNSS की धारा 173 के तहत प्रक्रिया के आलोक में कार्रवाई करें।
Case Title: XXX v. State of Kerala and Ors.

