समझौते की राशि लेने के बाद आपसी तलाक से पीछे हटने की पत्नी की अपील खारिज

Praveen Mishra

30 Sept 2025 8:48 PM IST

  • समझौते की राशि लेने के बाद आपसी तलाक से पीछे हटने की पत्नी की अपील खारिज

    केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में एक फैमिली कोर्ट के आदेश के खिलाफ पत्नी द्वारा दायर वैवाहिक अपील को खारिज कर दिया, जिसमें उसने आपसी सहमति से तलाक की याचिका से पीछे हटने की मांग की थी, जिसे उसने अपने पति के साथ मिलकर दाखिल किया था।

    पत्नी ने यह कहते हुए सहमति से तलाक देने से इनकार कर दिया था कि समझौते की शर्तों में उसे धोखे से फंसाया गया। लेकिन डिवीजन बेंच, जिसमें जस्टिस देवन् रामचन्द्रन और जस्टिस एम.बी. स्नेहलता शामिल थे, ने पाया कि पत्नी ने पति द्वारा समझौते के तहत जमा कराई गई राशि निकाल ली थी।

    फैमिली कोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए हाईकोर्ट ने कहा:

    “ऐसी परिस्थितियों में यह समझना कठिन है कि अपीलकर्ता कैसे कह सकती है कि उसे धोखे से हस्ताक्षर करवाए गए, जबकि वह स्वीकार करती है कि उसने जमा की गई रकम और फिक्स्ड डिपॉजिट की राशि अपनी मर्जी से ले ली। परिवार न्यायालय ने सही तरीके से आकलन किया कि यह ऐसा मामला नहीं है जिसमें अपीलकर्ता आवेदन से पीछे हट सके, खासकर तब जब उसने बिना किसी आपत्ति के लाभ उठा लिया।”

    गौरतलब है कि अपीलकर्ता ने पहले पति के खिलाफ तीन मुकदमे दायर किए थे—सोने के आभूषणों की वापसी और भरण-पोषण की मांग को लेकर। बाद में दोनों पक्षों में समझौता हुआ और मुकदमे उसी आधार पर निपटा दिए गए। समझौते के अनुसार पत्नी ने पति के पिता के घर को खाली करने और भरण-पोषण का केस वापस लेने पर सहमति जताई थी। लेकिन उसने यह शर्त पूरी नहीं की, जिसके चलते पति को अलग से कार्यवाही करनी पड़ी।

    इसके बाद पति ने समझौते के आधार पर आपसी सहमति से तलाक की अर्जी दायर की, लेकिन पत्नी ने हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। नोटिस जारी होने के बाद भी कार्यवाही पूरी नहीं हो सकी। इसके बाद दोनों ने मिलकर परिवार न्यायालय में तलाक की संयुक्त अर्जी दाखिल की, जिसमें कुछ शर्तें तय की गईं।

    शर्तों के अनुसार पति ने पत्नी के नाम पर कुछ रकम जमा करने और पत्नी ने पति के पिता का घर खाली करने पर सहमति दी। पति ने रकम जमा कर दी और पत्नी ने वह रकम निकाल भी ली। लेकिन काउंसलिंग के दौरान पत्नी ने कहा कि उसे धोखे से हस्ताक्षर करवाए गए और उसने तलाक के लिए सहमति देने से इनकार कर दिया।

    फैमिली कोर्ट ने तलाक मंजूर कर लिया और कहा कि पत्नी पर विश्वास नहीं किया जा सकता क्योंकि उसने स्वेच्छा से रकम ले ली थी और बाद में अपनी जिम्मेदारियों से पीछे हटने की कोशिश की। इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई, लेकिन हाईकोर्ट ने अपील खारिज कर दी।

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