NDPS Act| गुजरात हाईकोर्ट ने 3 साल से अधिक समय से जेल में बंद व्यक्ति को जमानत दी, कहा- 29 गवाहों में से केवल 2 की ही जांच हुई
Shahadat
3 March 2025 4:24 AM

गुजरात हाईकोर्ट ने हाल ही में NDPS Act के तहत गिरफ्तार व्यक्ति को साढ़े तीन साल की लंबी सजा के मद्देनजर नियमित जमानत दी और यह देखते हुए कि 29 गवाहों में से केवल दो की ही जांच की गई, जबकि निचली अदालत ने ऐसे गवाहों की जांच के लिए कोई समयबद्ध कार्यक्रम नहीं दिया।
जस्टिस गीता गोपी ने अपने आदेश में कहा,
"सिटी सिविल जज, स्पेशल कोर्ट की रिपोर्ट मांगी गई और दिनांक 09.12.2024 की रिपोर्ट से पता चलता है कि मामले में लगभग 29 गवाह हैं और दो गवाहों की जांच की गई थी। जज ने गवाहों की जांच के लिए कोई समयबद्ध कार्यक्रम नहीं दिखाया। इस प्रकार, आवेदक की साढ़े तीन साल की लंबी कैद को ध्यान में रखते हुए यह न्यायालय इसे उपयुक्त मामला मानता है, जहां आवेदक के पक्ष में विवेक का प्रयोग किया जा सकता है। इसलिए वर्तमान आवेदन स्वीकार किया जाता है।"
NDPS Act की धारा 8 (सी), धारा 22 (सी) और धारा 29 के तहत FIR दर्ज की गई।
आवेदक के वकील ने तर्क दिया कि आवेदक को अगस्त 2021 में गिरफ्तार किया गया, वह साढ़े तीन साल से जेल में है। कार्यवाही में तेजी नहीं आई और केवल दो गवाहों की जांच की गई। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों का भी हवाला दिया, जिसमें कहा गया कि लंबे समय तक कारावास भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। इस तरह ऐसी परिस्थितियों में NDPS Act की धारा 37(1)(बी) के तहत बनाए गए वैधानिक प्रतिबंध को दरकिनार करते हुए सशर्त स्वतंत्रता पर विचार किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि NDPS ट्रायल में स्पेशल कोर्ट के पास किसी विशेष मामले को महत्व देने के लिए अधिक समय नहीं होगा।
राज्य की ओर से पेश वकील ने तर्क दिया कि एक बार ट्रायल शुरू होने के बाद जमानत में कोई रियायत नहीं दी जानी चाहिए। कहा कि स्पेशल कोर्ट के समक्ष सभी पक्षों को समान महत्व दिया जाना चाहिए। किसी भी आरोपी को विशेष विशेषाधिकार नहीं मिलना चाहिए, उन्होंने आवेदन खारिज करने का आग्रह किया।
इसके बाद न्यायालय ने 15,000 रुपये के निजी बांड को निष्पादित करने, स्वतंत्रता का अनुचित लाभ नहीं उठाने, या अभियोजन पक्ष के हित को नुकसान पहुंचाने वाले तरीके से कार्य नहीं करने, अपना पासपोर्ट सरेंडर करने, संबंधित न्यायालय की पूर्व अनुमति के बिना राज्य नहीं छोड़ने और पता देने की शर्तों पर नियमित जमानत आवेदन को अनुमति दी।
न्यायालय ने संबंधित सेशन जज को निर्देश दिया कि वे शर्तों के उल्लंघन के मामले में वारंट जारी करें या उचित कार्रवाई करें।
केस टाइटल: मोहम्मद सादिक @ सज्जू मोहम्मद रफीक गुलाम नबीपठान बनाम गुजरात राज्य