पति का बच्चे के रंग के कारण पितृत्व पर संदेह के कारण पत्नी पर हमला, गुवाहाटी हाईकोर्ट ने अलग होने की दी अनुमति

Shahadat

6 Jun 2025 10:28 AM IST

  • पति का बच्चे के रंग के कारण पितृत्व पर संदेह के कारण पत्नी पर हमला, गुवाहाटी हाईकोर्ट ने अलग होने की दी अनुमति

    गुवाहाटी हाईकोर्ट ने बुधवार (4 जून) को महिला को CrPC की धारा 125 के तहत भरण-पोषण का उसका अधिकार स्वीकार करते हुए उसे अपने पति से अलग रहने की अनुमति दी। न्यायालय ने पाया कि पत्नी के पास अपने पति से दूर रहने के पर्याप्त कारण थे, जिसे अपने बच्चे के गोरे रंग पर निराधार संदेह था और उसने उसके साथ शारीरिक दुर्व्यवहार किया।

    जस्टिस पार्थिवज्योति साइका की पीठ ने कहा,

    "याचिकाकर्ता और प्रतिवादी दोनों ही सांवले रंग के लोग हैं। लेकिन उनका बच्चा गोरा था। यही कारण है कि पत्नी और पति के बीच विवाद पैदा हुआ। पति ने पत्नी को शारीरिक रूप से परेशान करना शुरू कर दिया और उसे बच्चे के साथ वैवाहिक घर से निकाल दिया।"

    यह मामला ट्रायल कोर्ट द्वारा पत्नी के लिए 2,500 रुपये और बच्चे के लिए 500 रुपये का भरण-पोषण देने के आदेश से उत्पन्न हुआ। इसके बाद पति ने भरण-पोषण आदेश को चुनौती देते हुए सेशन कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सेशन कोर्ट ने अपने आदेश में बच्चे के भरण-पोषण के अधिकार को बरकरार रखा, लेकिन पत्नी को इससे वंचित कर दिया। व्यथित होकर पत्नी ने अपीलीय न्यायालय के आदेश के विरुद्ध राहत की मांग करते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

    सेशन कोर्ट ने माना कि पत्नी के साक्ष्य असंगत थे और उसकी अपनी दलीलों का खंडन करते थे, जिससे उसकी गवाही अविश्वसनीय हो गई। सेशन कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश की आलोचना इस धारणा पर निर्भर करने के लिए की कि महिला बिना किसी कारण के अपने वैवाहिक घर को नहीं छोड़ेगी। सेशन कोर्ट ने कहा कि ऐसी धारणा कानूनी रूप से स्वीकार्य नहीं है। भरण-पोषण के मामलों में उचित साक्ष्य की आवश्यकता को कमज़ोर करेगी।

    पत्नी का प्रतिनिधित्व एडवोकेट ए.के. हुसैन ने किया। उन्होंने तर्क दिया कि CrPC की धारा 125 विवाहित महिलाओं की सुरक्षा के लिए सामाजिक कानून है। इसे सिविल मुकदमों के समान सख्त साक्ष्य मानकों के अधीन नहीं किया जाना चाहिए। यह तर्क दिया गया कि ट्रायल कोर्ट ने मामले के तथ्यों और परिस्थितियों का सही मूल्यांकन किया।

    अदालत ने पाया कि दंपति का रंग सांवला है, लेकिन उनका बच्चा गोरा है। इस विसंगति के कारण पति को बच्चे के माता-पिता पर संदेह हुआ, जिसके कारण बार-बार शारीरिक शोषण की घटनाएं हुईं। इसके कारण आखिरकार पत्नी और बच्चे को वैवाहिक घर छोड़ना पड़ा। पीठ ने दुर्व्यवहार और संदेह को पत्नी के अलग रहने का एक वैध और पर्याप्त कारण माना।

    तदनुसार, अदालत ने सेशन कोर्ट का आदेश खारिज कर दिया और पत्नी को भरण-पोषण देने के ट्रायल कोर्ट का आदेश बरकरार रखा।

    Case Title: Mustt. Lozzatan Begum v Shahidul Islam (2025:GAU-AS:7253)

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