एटा अधिवक्ता पर पुलिस हमला: इलाहाबाद उच्च न्यायालय मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा मामले की जांच के आदेश दिए
SPARSH UPADHYAY
29 Dec 2020 12:59 PM IST
आज, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उस घटना की पूरी रिपोर्ट मांगी है, जिसमें एटा के एक एडवोकेट राजेंद्र शर्मा के साथ पुलिस ने मारपीट की और उनके रिश्तेदारों को भी परेशान किया गया और अपमानित किया गया।
मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह की खंडपीठ ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, एटा को मामले की जांच करने और मामले की अगली तारीख पर या उससे पहले पूरी रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।
न्यायालय के आदेश के अनुसार, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, एटा को "ऑडियो विजुअल इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों सहित सभी प्रासंगिक तथ्यों को सूचीबद्ध करने और अगली तारीख से पहले इस अदालत में प्रस्तुत करने" और आवश्यक पूछताछ करते हुए रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है।
इसके अलावा, जिला मजिस्ट्रेट, एटा के साथ-साथ वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एटा को भी मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, एटा द्वारा वांछित सभी संबंधित तथ्यों और दस्तावेजों की आपूर्ति करने का निर्देश दिया गया है, ताकि अदालत को इस घटना की रिपोर्ट प्रस्तुत की जा सके।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश में विशेष रूप से 'बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश' द्वारा भेजे गए एक पत्र का जिक्र किया गया है, जिस पत्र में इस घटना के संबंध में उचित कार्रवाई करने के अनुरोध के साथ उसे इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को संबोधित किया गया था।
कोर्ट के आदेश में यह भी उल्लेख किया गया है कि मुख्य न्यायाधीश के सचिवालय द्वारा एक पत्र इसी मुद्दे से संबंधित उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन से प्राप्त किया गया था और कुछ अन्य अधिवक्ताओं ने भी ई-मेल के माध्यम से इस घटना को लेकर अपनी बात रखी।
मामले को शुक्रवार (08 जनवरी 2021) को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।
मामले की पृष्ठभूमि
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस घटना का संज्ञान लेते हुए और मामला आज के लिए सूचीबद्ध किया था।
गौरतलब है कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने पुलिस के इस हमले की निंदा करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और भारत के मुख्य न्यायाधीश से मामले का स्वत: संज्ञान लेने का आग्रह किया था।
बार काउंसिल ऑफ इंडिया की प्रेस विज्ञप्ति में यह कहा गया था कि,
"उत्तर प्रदेश की पुलिस का कृत्य चौंकाने वाला है, कानून और व्यवस्था के संरक्षकों से यह उम्मीद नहीं की जा सकती है। पुलिसकर्मियों की क्रूरता स्पष्ट रूप से दिखाती है कि वे किसी योजना के साथ काम कर रहे थे और उनका मकसद कुछ और था।"
सीजेआई और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सीजे द्वारा कार्रवाई करने का अनुरोध करते हुए बीसीआई ने यह भी कहा था कि उनके अनुरोध पर उत्तर प्रदेश सरकार ने विचार नहीं किया है।
SCBA ने भी वकील पर पुलिस हमले की भी निंदा की थी।
SCBA ने कहा था कि,
"एटा में हमारे बिरादरी के एक सदस्य पर क्रूर हमला, जब वह अपने परिवार के साथ था, नृशंस और अस्वीकार्य है। यह पुलिस की कठोर और सोची-समझी कार्रवाई है।"
वहीँ, हाई कोर्ट बार एसोसिएशन, इलाहाबाद के महासचिव, प्रभा शंकर मिश्रा की ओर से जारी किये गए एक पत्र में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को संबोधित करते हुए यह कहा गया था कि,
"जिस प्रकार से प्रशासन एवं पुलिस द्वारा अधिवक्ता एवं उसके परिवार को निर्दयता पूर्वक बर्बता से मारा पीटा गया गया इससे अधिवक्ता समुदाय की भावनाओं को एवं पेशे के प्रति लोगों में दुखद अनुभूति का अनुभव हो रहा है और ऐसा प्रतीत हो रहा है कि अधिवक्ता समुदाय समाज का सबसे उपेक्षित प्राणी है।"
पत्र में आगे यह कहा गया था कि,
"जिस ढंग से कानून का गला घोंटा गया तथा संवैधानिक मर्यादा को तार तार किया गया उससे अपने आपको अधिवक्ता कहने में शर्म आ रही है।"
आगे यह कहा गया कि,
"इस घटना को लेकर अधिवक्ता समुदाय बहुत आक्रोशित है और सबकी नजरें न्यायालय पर टिकी हैं", पत्र में मुख्य न्यायाधीश, इलाहाबाद हाईकोर्ट से विनम्र निवेदन करते हुए यह मांग की गयी है कि "उक्त घटना का स्वतः संज्ञान लेते हुए प्रदेश की कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए उचित आदेश पारित करने का कष्ट किया जाए।"
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