"दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई, एडवोकेट के पेशेगत अधिकारों के खिलाफ", SCBA ने एडवोकेट महमूद प्राचा के दफ्तर पर पुलिस छापे की निंदा की, एटा में एडवोकेट हमले पर भी जताया रोष

LiveLaw News Network

28 Dec 2020 9:37 AM GMT

  • दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई, एडवोकेट के पेशेगत अधिकारों के खिलाफ, SCBA ने एडवोकेट महमूद प्राचा के दफ्तर पर पुलिस छापे की निंदा की, एटा में एडवोकेट हमले पर भी जताया रोष

    सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) ने एडवोकेट महमूद प्राचा के दफ्तर में दिल्ली पुलिस की छापेमारी की निंदा की है, साथ ही उत्तर प्रदेश के एटा जिले में एक वकील पर पुलिस हमले पर भी रोष जताया है।

    SCBA ने एक बयान जारी कर एडवोकेट प्राचा के दफ्तर से गोपनीय जानकारियां जब्त करने की कार्रवाई को दुर्भावनापूर्ण कहा है।

    बयान में कहा गया है कि ऐसा कृत्य एक वकील को बिना भय या पक्षपात के पेशे के अभ्यास से रोकता है। उल्लेखनीय है कि प्राचा दिल्ली दंगों की साजिश के मामलों में कई आरोपियों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

    SCBA ने बयान में कहा है, 'पुलिस द्वारा एक वकील के दफ्तर की तलाशी और जब्ती दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई है, यह एक वकील के, बिना भय या पक्षपात के पेशे का अभ्यास करने के अधिकार को विफल करती है।

    यह आक्रामक कार्रवाई है और पुलिस की धमकियों के आगे एक वकील को झुकने के लिए मजबूर कर, कानून की नियत प्रक्रिया का दुरुपयोग करती है। ऐसे तरीके कानून में कभी नहीं सुने गए। इस तरह की तलाशी/ जब्ती कानून के विशिष्ट प्रावधानों के खिलाफ है, जो वकील और मुव‌क्क‌िल के रिश्ते और पत्राचारों की सुरक्षा करते हैं।

    पुलिस द्वारा एक वकील के अधिकारों का अतिक्रमण अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत अभियुक्तों के निष्‍पक्ष मुकदमे के अधिकारों का उल्लंघन है....

    उन पुलिस अध‌िकार‌ियों द्वारा ली गई तलाशी में, गोपनीय जानकारी की जब्ती, जिन्होंने वकीलों के मुवक्किलों पर अभियोग लगाया है, जबकि उक्त जानकारियों वकील-मुवक्किल विशेषाधिकार के जर‌िए संरक्षित हैं, मुवक्किल के अधिकारों को प्रभावित करता है। यह गैरकानूनी है और एक मुवक्किल और उसके वकीलों के अध‌िकारों का उल्लंघन करता है।"

    उल्लेखनीय है कि 24 दिसंबर को दिल्ली पुलिस ने एडवोकेट प्राचा के दफ्तर पर छापा मारा था, जिसमें उनकी लॉ फर्म के आधिकारिक ईमेल पते के दस्तावेजों और आउटबॉक्स की मेटाडेटा की जांच की गई थी।

    एडवोकेट प्राचा ने लैपटॉप की जब्ती पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि इसमें उन्हें वकीलों द्वारा सौंपी गई गोपनीय जानकारियां हैं और इससे अटॉर्नी-क्लाइंट विशेषाधिकार का हनन होगा।

    बाद में उन्होंने जब्ती के खिलाफ दिल्ली की एक कोर्ट में आवेदन दायर किया, जिसकी सुनवाई में कोर्ट ने जांच अधिकारी और तलाशी के पूरे वीडियो फुटेज को पेश करने निर्देश दिया था।

    रविवार को पटियाला हाउस कोर्ट के एक मजिस्ट्रेट ने निर्देश दिया कि दिल्ली पुलिस द्वारा एडवोकेट महमूद प्राचा के दफ्तर में ली गई तलाशी की पूरी वीडियो फुटेज अदालत की मुहर के साथ सुरक्षित रखी जाए।

    SCBA ने अपने बयान में कहा कि अधिवक्ताओं को उनके मुवक्किल गोपनीय विशेषाधिकार प्राप्त जानकार‌ियां सौंपते हैं और इस तरह के विशेषाधिकार कानून के तहत संरक्षित हैं और निष्पक्ष मुकदमे के अधिकार का आधार हैं।

    एसोसिएशन ने वकील के कार्यालय की तलाशी के आदेश का सर्च वारंट "नियमित यांत्रिक" तरीके जारी करने पर, मजिस्ट्रेट के फैसले पर भी चिंता व्यक्त की है। SCBA ने कहा कि वह दिल्ली पुलिस की कार्रवाई की कड़ी निंदा करती है।

    दिल्ली पुलिस की कार्रवाई का कड़ा विरोध करते हुए, SCBA ने पुलिस को "जब्त किए गए उपकरणों में उपलब्ध जानकारी का उपयोग नहीं करने" को कहा है।

    बार काउंसिल ऑफ दिल्ली ने प्राचा के दफ्तर पर पड़े छापे पर "नाराजगी और गुस्सा" व्यक्त करते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय को पत्र लिखा है। दिल्ली हाईकोर्ट विमेन लॉयर्स फोरम ने भी "जांच एजेंसियों द्वारा वकीलों को निशाना बनाने" की निंदा की है।

    एटा वकील पर पुलिस ने किया हमला

    SCBA ने उत्तर प्रदेश के एटा जिले में एक वकील पर पुलिस हमले की भी निंदा की।

    SCBA ने बयान में कहा है कि पुलिस ने घर का दरवाजा तोड़कर एक वकील (जो एडवोकेट की पोशाक में था) को घसीटा और उसके साथ बेरहमी से मारपीट की थी। इस घटना का वीडियो हाल ही में वायरल हुआ था। बार काउंसिल ऑफ इंडिया पुलिस के हमले की निंदा कर चुकी है और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और भारत के मुख्य न्यायाधीश से मामले का स्वत: संज्ञान लेने का आग्रह किया है।

    SCBA कहा है "एटा में हमारे बिरादरी के एक सदस्य पर क्रूर हमला, जब वह अपने परिवार के साथ था, नृशंस और अस्वीकार्य है। यह पुलिस की कठोर और सोची-समझी कार्रवाई है।"

    सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन इन दोनों मामलों में पुलिस के निंदनीय आचरण पर गंभीर चिंता व्यक्त करता है और सभी संबंधित अधिकारियों से आह्वान करता है कि वे अपने अत्याचारपूर्ण आचरण के लिए सभी संबंधितों के खिलाफ गंभीर दंडात्मक कार्रवाई करें.."


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