इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एटा के अधिवक्ता पर पुलिस के हमले पर स्वतः संज्ञान लिया, आज होगी सुनवाई

SPARSH UPADHYAY

29 Dec 2020 5:42 AM GMT

  • इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एटा के अधिवक्ता पर पुलिस के हमले पर स्वतः संज्ञान लिया, आज होगी सुनवाई

    इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हाल ही में उत्तर प्रदेश के एटा में हुई उस घटना का स्वतः संज्ञान लिया है, जहाँ पुलिस ने एक घर का दरवाजा तोड़ा, और एक एटा अधिवक्ता (जो अधिवक्ता की पोशाक में था) को घसीटा और उसके साथ मारपीट की थी।

    मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह की खंडपीठ के समक्ष यह मामला आज (29 दिसंबर) सुनवाई के लिए आएगा।

    गौरतलब है कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने पुलिस के इस हमले की निंदा करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और भारत के मुख्य न्यायाधीश से मामले का स्वत: संज्ञान लेने का आग्रह किया था।

    बार काउंसिल ऑफ इंडिया की प्रेस विज्ञप्ति में यह कहा गया था कि,

    "उत्तर प्रदेश की पुलिस का कृत्य चौंकाने वाला है, कानून और व्यवस्था के संरक्षकों से यह उम्मीद नहीं की जा सकती है। पुलिसकर्मियों की क्रूरता स्पष्ट रूप से दिखाती है कि वे किसी योजना के साथ काम कर रहे थे और उनका मकसद कुछ और था।"

    सीजेआई और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सीजे द्वारा कार्रवाई करने का अनुरोध करते हुए बीसीआई ने यह भी कहा था कि उनके अनुरोध पर उत्तर प्रदेश सरकार ने विचार नहीं किया है।

    SCBA ने भी वकील पर पुलिस हमले की भी निंदा की है।

    SCBA कहा है,

    "एटा में हमारे बिरादरी के एक सदस्य पर क्रूर हमला, जब वह अपने परिवार के साथ था, नृशंस और अस्वीकार्य है। यह पुलिस की कठोर और सोची-समझी कार्रवाई है।"

    वहीँ, हाई कोर्ट बार एसोसिएशन, इलाहाबाद के महासचिव, प्रभा शंकर मिश्रा की ओर से जारी किये गए एक पत्र में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को संबोधित करते हुए यह कहा गया है कि,

    "जिस प्रकार से प्रशासन एवं पुलिस द्वारा अधिवक्ता एवं उसके परिवार को निर्दयता पूर्वक बर्बता से मारा पीटा गया गया इससे अधिवक्ता समुदाय की भावनाओं को एवं पेशे के प्रति लोगों में दुखद अनुभूति का अनुभव हो रहा है और ऐसा प्रतीत हो रहा है कि अधिवक्ता समुदाय समाज का सबसे उपेक्षित प्राणी है।"

    पत्र में आगे यह कहा गया है कि,

    "जिस ढंग से कानून का गला घोंटा गया तथा संवैधानिक मर्यादा को तार तार किया गया उससे अपने आपको अधिवक्ता कहने में शर्म आ रही है।"

    आगे यह कहा गया कि,

    "इस घटना को लेकर अधिवक्ता समुदाय बहुत आक्रोशित है और सबकी नजरें न्यायालय पर टिकी हैं", पत्र में मुख्य न्यायाधीश, इलाहाबाद हाईकोर्ट से विनम्र निवेदन करते हुए यह मांग की गयी है कि "उक्त घटना का स्वतः संज्ञान लेते हुए प्रदेश की कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए उचित आदेश पारित करने का कष्ट किया जाए।"

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