NDPS Act मामले में पंजाब के पूर्व एडिशनल एडवोकेट जनरल को मिली जमानत
Shahadat
18 Jan 2025 6:10 AM

दिल्ली हाईकोर्ट ने पिछले साल नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट, 1985 (NDPS Act) के तहत दर्ज मामले में वकील और पंजाब राज्य के पूर्व एडिशनल एडवोकेट जनरल (AAG) को जमानत दी।
जस्टिस जसमीत सिंह ने विक्रमजीत सिंह को राहत देते हुए कहा कि मामले में NDPS Act की धारा 37 के तहत दी गई "दोहरी शर्तें" पूरी की गईं। अदालत ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता 26 फरवरी, 2024 से हिरासत में है। आरोपपत्र पहले ही दाखिल किया जा चुका है, जिससे पता चलता है कि जांच पूरी हो चुकी है।
धारा 37 में कहा गया कि किसी आरोपी को तब तक जमानत नहीं दी जानी चाहिए, जब तक कि आरोपी दोहरी शर्तों को पूरा करने में सक्षम न हो, यानी यह मानने के लिए उचित आधार कि आरोपी ऐसे अपराध का दोषी नहीं है। अगर उसे जमानत दी जाती है तो वह अपराध नहीं करेगा या अपराध करने की संभावना नहीं है।
न्यायालय ने यह भी पाया कि जमानत पर रहते हुए सिंह द्वारा कोई अपराध करने की संभावना नहीं है तथा अभियोक्ता को जमानत का विरोध करने का अवसर दिया गया तथा विधिवत सुनवाई की गई। सिंह के विरुद्ध आरोप यह था कि एक व्यक्ति के घर से एक बैग में 12.16 किलोग्राम मेथमफेटामाइन बरामद किया गया, जिसे सिंह ने दिल्ली पहुंचाया था। आरोप था कि पैकेज को राष्ट्रीय राजधानी में दो अन्य व्यक्तियों द्वारा वितरित किया गया था।
FIR के अनुसार, बैग सिंह के निर्देश पर वितरित किया गया। मामले में जमानत देते हुए न्यायालय ने कहा कि जिस व्यक्ति के घर से बैग बरामद किया गया, उसके प्रकटीकरण कथन में यह नहीं कहा गया था कि सिंह ने कथित बरामद प्रतिबंधित पदार्थ की आपूर्ति की थी।
न्यायालय ने कहा,
"उपर्युक्त तथ्यों से प्रथम दृष्टया, मेरा विचार है कि प्रकटीकरण कथन का उपयोग याचिकाकर्ता के विरुद्ध नहीं किया जा सकता, क्योंकि याचिकाकर्ता का नाम उसमें नहीं है तथा प्रकटीकरण कथन ऐसी घटना का उल्लेख करता है, जो पहले ही घटित हो चुकी है तथा बरामदगी पहले ही प्रभावित हो चुकी है। इसलिए कानून की दृष्टि में स्वीकार्य नहीं है।"
न्यायालय ने कहा कि सिंह तथा संबंधित व्यक्ति के बीच टेलीफोन या अन्य तरीके से कोई संपर्क नहीं था। यह भी पाया गया कि NCB ने अपने ही ज्ञात कारणों से उन दो व्यक्तियों को गिरफ्तार नहीं किया, जिन्होंने कथित तौर पर प्रतिबंधित पदार्थ की आपूर्ति की थी।
न्यायालय ने आगे कहा,
“याचिकाकर्ता का पिछला रिकॉर्ड साफ-सुथरा है और किसी भी आपराधिक गतिविधि में उसकी कोई पूर्व संलिप्तता नहीं है। याचिकाकर्ता पेशे से वकील है और पंजाब राज्य के लिए एडिशनल एडवोकेट जनरल था। मेरा मानना है कि याचिकाकर्ता द्वारा जमानत पर रहते हुए कोई अपराध करने की संभावना नहीं है।”
केस टाइटल: विक्रमजीत सिंह बनाम NCB