NDPS Act की धारा 52ए का केवल विलंबित अनुपालन जमानत का कोई आधार नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट

Shahadat

2 Dec 2023 7:47 AM GMT

  • NDPS Act की धारा 52ए का केवल विलंबित अनुपालन जमानत का कोई आधार नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि हालांकि यह वांछनीय है कि नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट, 1985 (NDPS Act) की धारा 52ए में विचार की गई प्रक्रिया का जल्द से जल्द अनुपालन किया जाना चाहिए, लेकिन केवल इसका विलंबित अनुपालन अनुदान जमानत देने का आधार नहीं हो सकता।

    जस्टिस अमित बंसल ने कहा,

    "आवेदक को NDPS Act की धारा 52-ए के विलंबित अनुपालन के कारण हुए पूर्वाग्रह को दिखाना होगा।"

    एक्ट की धारा 52ए में प्रावधान है कि मन:प्रभावी पदार्थों की जब्ती पर अधिकारी मजिस्ट्रेट से संपर्क करेगा, जिसकी उपस्थिति और पर्यवेक्षण के तहत नमूने की प्रक्रिया आयोजित की जाएगी और सही होने के लिए प्रमाणित किया जाएगा।

    अदालत ने व्यक्ति द्वारा दायर जमानत याचिका को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की, जिसने दावा किया कि NDPS Act की धारा 52 ए के तहत निर्धारित प्रक्रिया के अनुपालन में अत्यधिक देरी हुई और इसके लिए एनसीबी की ओर से कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया।

    दूसरी ओर, एनसीबी ने तर्क दिया कि आरोपी अन्य सह-आरोपी व्यक्तियों के साथ सीधे तौर पर मनोवैज्ञानिक पदार्थों की वाणिज्यिक मात्रा की खरीद और भेजने में शामिल है और उसके अपार्टमेंट के साथ-साथ विदेशी डाकघर, आईटीओ से भी वसूली की गई।

    यह भी प्रस्तुत किया गया कि NDPS Act की धारा 52ए के तहत आवश्यकताओं का पूर्ण अनुपालन किया गया और आरोपी व्यक्तियों की उपस्थिति में मजिस्ट्रेट के समक्ष नमूने लिए गए।

    जमानत याचिका खारिज करते हुए जस्टिस बंसल ने कहा कि जब्त किए गए मनोदैहिक पदार्थों का नमूना मजिस्ट्रेट और आरोपी व्यक्तियों की उपस्थिति में लिया गया और नमूनों को टेस्ट के लिए भेजने का निर्देश दिया गया।

    अदालत ने कहा,

    “आवेदक NDPS Act की धारा 52-ए के विलंबित अनुपालन के कारण उस पर हुए पूर्वाग्रह को दिखाने में विफल रहा है।”

    इसमें कहा गया कि प्रथम दृष्टया यह दृष्टिकोण बनाना संभव नहीं है कि आरोपी अपराधों के लिए दोषी नहीं है, या जमानत पर रिहा होने पर वह इसी तरह के अपराध नहीं करेगा।

    अदालत ने कहा,

    “इसलिए NDPS Act की धारा 37 की दोनों शर्तें पूरी नहीं होती हैं। इस स्तर पर आवेदक को जमानत नहीं दी जा सकती है। तदनुसार, वर्तमान आवेदन खारिज किया जाता है।”

    याचिकाकर्ता के वकील: प्रीतीश सभरवाल और शरद पांडे और प्रतिवादी के वकील: सीनियर सरकारी वकील सुभाष बंसल, राघव बंसल के साथ

    केस टाइटल: सोमदत्त सिंह @ शिवम बनाम नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो

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