जेलों में भीड़ कम करने का मामलाः छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद रिलीज नहीं किए गए कैदियों का डेटा मांगा

LiveLaw News Network

20 July 2021 1:30 PM GMT

  • जेलों में भीड़ कम करने का मामलाः छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद रिलीज नहीं किए गए कैदियों का डेटा मांगा
    छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट

    छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण (एसएलएसए) को ऐसे सभी कैदियों का डेटा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है, जिन्हें जेलों की भीड़ कम करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश के अनुसार अंतरिम जमानत/पैरोल पर रिहा नहीं किया गया था।

    कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश प्रशांत कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति रजनी दुबे की खंडपीठ ने आगे यह भी निर्देश दिया है कि एक चार्ट दायर किया जाए, जिसमें उन कारणों का उल्लेख किया जाए जिनके चलते ऐसे कैदियों को रिहा नहीं किया गया था।

    न्यायालय अंतरिम जमानत या पैरोल पर कैदियों की रिहाई न करने के संबंध में दायर दो जनहित याचिकाओं पर विचार कर रहा है, जिन्हें पिछले साल सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेशों और हाई पावर कमेटी की सिफारिशों के अनुसार रिहा किया गया था।

    सुप्रीम कोर्ट ने इस साल मई में सभी राज्यों की उच्चाधिकार प्राप्त समिति को उन सभी कैदियों को तत्काल रिहा करने का निर्देश दिया था, जिन्हें उचित शर्तें लगाकर सुप्रीम कोर्ट के 23.03.2020 के आदेश के अनुसार पहले रिहा कर दिया गया था। इस संबंध में राज्य की हाई पावर कमेटी ने भी 12 मई, 2021 को सिफारिश की थी।

    इस प्रकार याचिकाकर्ताओं द्वारा यह प्रस्तुत किया गया था कि ऐसे कैदी जिन्हें पहले अंतरिम जमानत या पैरोल पर रिहा किया गया था, उन्हें रिहा किया जाना चाहिए था परंतु राज्य द्वारा ऐसा नहीं किया गया।

    इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने निर्देश दिया किः

    ''राज्य सरकार और राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (एसएलएसए) को केवल उन कैदियों का विशिष्ट डेटा दर्ज करने दें, जिन्हें पहले रिहा किया गया था, लेकिन माननीय सर्वोच्च न्यायालय के दिनांक 7.5.2021 और हाई पावर कमेटी के दिनांक 12.5.2021 के वर्तमान आदेश के अनुसार रिहा नहीं किया गया है। इस संबंध में दायर चार्ट में उन कारणों का भी उल्लेख किया जाए जिनके चलते ऐसे कैदियों को रिहा नहीं किया गया है।''

    कोर्ट ने स्टेट बार काउंसिल को उन सभी मामलों में डेथ क्लेम जारी करने की प्रक्रिया में तेजी लाने का निर्देश दिया है, जिनमें दावे के आवेदन पत्र में कोई महत्वपूर्ण त्रुटि नहीं हैं।

    बेंच ऐसे अधिवक्ताओं के परिवारों के लिए राहत की मांग करने वाली याचिका पर भी सुनवाई कर रही है, जो या तो कोरोना महामारी के शिकार हो गए हैं या इससे संक्रमित हो गए हैं। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए ही कोर्ट ने यह निर्देश जारी किया है।

    कोर्ट ने कहा, ''हम उम्मीद करते हैं कि 10 दिनों के भीतर आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।''

    इसी तरह के मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते निर्देश दिया था कि स्वतःसंज्ञान मामले में 7 मई को दिए गए आदेश के अनुसार कोरोना महामारी के मद्देनजर राज्यों की उच्चाधिकार प्राप्त समितियों द्वारा रिहा किए गए सभी कैदियों को अगले आदेश तक सरेंडर करने के लिए नहीं कहा जाना चाहिए।

    कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों को अगले शुक्रवार तक एक रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया था, जिसमें विस्तार से बताया जाए कि 7 मई के आदेश को कैसे लागू किया गया और एचपीसी ने कोरोना महामारी की स्थिति को ध्यान में रखते हुए आपातकालीन पैरोल पर कैदियों को रिहा करने के लिए क्या मानदंड अपनाए हैं।

    केस का शीर्षकः स्वतः संज्ञान डब्ल्यूपी (पीआईएल) बनाम छत्तीसगढ़ राज्य

    आदेश पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें



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