जहां पार्टियां समय पर विवाद उठाने में विफल रही हों या आंतरिक विवाद समाधान तंत्र की अनदेखी की हों, वहां कोर्ट मध्यस्थ की नियुक्ति नहीं कर सकता है: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट

Avanish Pathak

12 Sept 2022 3:29 PM IST

  • जहां पार्टियां समय पर विवाद उठाने में विफल रही हों या आंतरिक विवाद समाधान तंत्र की अनदेखी की हों, वहां कोर्ट मध्यस्थ की नियुक्ति नहीं कर सकता है: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट
    छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट

    छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने हाल ही में आर्ब‌िट्रेशन एंड कांस‌िलिएशन एक्ट, 1996 की धारा 11 (6) के तहत आवेदन संबंधी मामले पर विचार किया, और कहा कोर्ट मध्यस्थ की नियुक्ति के लिए आवेदन पर वहां विचार नहीं कर सकता है, जहां पार्टियों ने समय पर विवाद नहीं उठाया है या आंतरिक विवाद समाधान तंत्र की अनदेखी की है।

    जस्टिस अरूप कुमार गोस्वामी ने कहा,

    "अनुबंध के सामान्य नियम और शर्तों का खंड 16 यह दिखाता है कि यदि कोई विवाद है तो उसे कंपनी स्तर पर हल करने का प्रयास किया जाएगा और उस प्रयोजन के लिए कांट्रेक्टर को विवाद/दावा का कारण पैदा होने तीस दिनों के भीतर ऐसे विवादों/दावों के सेटलमेंट के ल‌िए इंजीनियरिंग-चार्ज को ‌लिख‌ित अनुरोध करना चा‌हिए, ऐसा न कर पाना यह संकेत देगा कि कंपनी कांट्रेक्टर के किसी भी विवाद/दावे पर विचार नहीं करेगी.. चूंकि आवेदक ने अनुबंध के सामान्य नियमों और शर्तों के खंड 16 के अनुसार अंतारिक विवाद समाधान तंत्र का सहारा नहीं लिया है, इसलिए मेरी राय में मध्यस्थ की नियुक्ति के लिए कोई मामला नहीं बनता है।"

    मौजूदा मामले में, प्रतिवादी ने ड‌िसेंट हाउसिंग स्कीम के तहत कुसमुंडा क्षेत्र की आदर्श नगर कॉलोनी में मंगवां रोड के पास माइनर क्वार्टर की 56 यूनिट्स के रखरखाव के लिए एक ई-टेंडर नोटिस जारी किया था, जिसमें आवेदक एक सफल बिडर था। काम का मूल्य 63,04,770 था। पार्टियों के बीच एक समझौता भी हुआ। आवेदक ने 26 मार्च 2019 को काम पूरा कर। हालांकि जमानत राशि और अतिरिक्त जमानत राशि सहित अंतिम बिल रोक दिया गया था।

    आवेदकों ने उत्तरदाताओं को पूरी राशि का भुगतान करने के लिए कई पत्र लिखे, लेकिन उनका कोई जवाब नहीं दिया गया। 24 अगस्त 2021 को 8,98,06,430 रुपये के लिए कानूनी नोटिस जारी किया गया। चूंकि 30 दिनों की अवधि के भीतर प्रतिवादियों ने कोई कदम नहीं उठाया, इसलिए आवेदक ने मध्यस्थ नियुक्त करने का अनुरोध किया।

    प्रतिवादी ने उत्तर दिया कि उसके पास कार्य के लिए विभाग के खिलाफ कोई दावा बकाया नहीं है और बिल के माध्यम से दिया गया दावा फुल एंड फाइनल सेटलमेंट में था क्योंकि वह समय पर काम पूरा करने में विफल रहा था। इसलिए, यह याचिका दायर की गई।

    आवेदक ने तर्क दिया कि उसने शिकायतों के संबंध में विवाद उठाया था और चूंकि अनुबंध के सामान्य नियमों और शर्तों के खंड 16 के संदर्भ में प्रतिवादियों द्वारा कोई कदम नहीं उठाया गया था, इसलिए आवेदक के पास मध्यस्‍थ की नियुक्ति के लिए इस न्यायालय से संपर्क करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।

    कोर्ट ने कहा कि 24 अगस्त, 21 के कानूनी नोटिस के से पता चलता है कि रिकॉर्ड पर कोई सामग्री नहीं है जो यह दर्शाती हो कि आवेदक ने प्रभारी अभियंता या किसी भी प्राधिकरण के समक्ष 24 अगस्तर, 21 से पहले किए गए दावों के संबंध में कोई विवाद उठाया था।

    कोर्ट ने कहा, "इसमें कोई संदेह नहीं है कि कुछ पत्र शीघ्र भुगतान के लिए लिखे गए थे, लेकिन कानूनी नोटिस जारी करने से पहले कभी ब्याज आदि के लिए दावा नहीं किया गया था। 16 जून 2021 को चौथे और अंतिम बिल के भुगतान के बाद 24 अगस्त 2021 को कानूनी नोटिस के जरिए पहली बार ऐसा विवाद/दावा उठाया गया था। इसके अलावा, आदर्श नगर में माइनर्स क्वार्टर की 64 यू‌निट्स की मरम्मत और रखरखाव और विकास नगर में माइनर्स क्वार्टर की 64 यूनिट्स की मरम्मत और रखरखाव के संबंध में विवाद/दाव को भी उसी के साथ जोड़ दिया गय, जबकि उसके सबंध में कोई समझौता नहीं किया गया था।।"

    तदनुसार याचिका खारिज कर दी गई।

    केस टाइटल: मेसर्स एस नरिंदर सिंह एंड कंपनी, इंजीनियर्स एंड गवर्नमेंट कॉन्ट्रैक्टर बनाम साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड और अन्य


    आदेश पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें

    Next Story