सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप : सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र
Shahadat
25 Jun 2023 12:00 PM IST
सुप्रीम कोर्ट में पिछले सप्ताह (19 जून, 2023 से 23 जून, 2023 तक) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप। पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।
कंपनी अधिनियम - अतिरिक्त शेयर आवंटित करने का निर्णय केवल इसलिए रद्द नहीं किया जा सकता क्योंकि प्रमोटरों को भी लाभ हुआ है: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के शेयरधारकों के एक समूह के पक्ष में राइट्स शेयर के बड़े पैमाने पर अनुपातहीन आवंटन को बरकरार रखा है, जिससे कंपनी में शेयरधारकों के अन्य समूह की तुलना में इसकी शेयरधारिता प्रतिशत में काफी वृद्धि हुई है।
जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने पाया कि अपीलकर्ता- एचएम पटेल समूह की निजी कंपनी की पेड-अप शेयर पूंजी में हिस्सेदारी 30.80% से बढ़कर 63.58% हो गई, जो अन्य शेयरधारक-समूह द्वारा अवसर दिए जाने के बावजूद अतिरिक्त शेयरों के लिए आवेदन करने से इनकार करने का परिणाम था। कोर्ट ने कहा, इस प्रकार नए शेयरों के आवंटन को दमनकारी नहीं माना जा सकता।
केस टाइटल: हसमुखलाल माधवलाल पटेल और अन्य बनाम अंबिका फूड प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड और अन्य।
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
सुप्रीम कोर्ट ने 27 साल पुराने हत्या मामले में पिता-पुत्र को संदेह का लाभ देते हुए बरी किया
सुप्रीम कोर्ट ने 27 साल पुराने हत्या के मामले में पिता-पुत्र को बरी कर दिया है, जिन्हें सत्र न्यायालय और हाईकोर्ट ने दोषी ठहराया था और हत्या के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। संदेह के लाभ और अभियोजन की यह साबित करने में विफलता के आधार पर दोषमुक्ति दी गई है कि अपीलकर्ताओं ने किसी भी उचित संदेह से परे अपराध किया है।
शीर्षक: मो. मुस्लिम बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (अब उत्तराखंड)
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
सुप्रीम कोर्ट ने सेंथिल बालाजी मामले में ईडी की याचिका पर सुनवाई स्थगित की; मद्रास हाईकोर्ट के अंतिम फैसले का इंतजार करने को कहा
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को तमिलनाडु के मंत्री सेंथिल बालाजी की गिरफ्तारी के खिलाफ दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए मद्रास हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई स्थगित कर दी और उन्हें इलाज के लिए निजी अस्पताल में ट्रांसफर करने की अनुमति दी।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एमएम सुंदरेश की अवकाश खंडपीठ ने इस तथ्य के मद्देनजर याचिकाओं की सुनवाई स्थगित कर दी कि मद्रास हाईकोर्ट मामले की सुनवाई करने के लिए तैयार है। भारत के सॉलिसिटर जनरल द्वारा दृढ़ता से मनाए जाने के बावजूद पीठ ने कोई भी ठोस आदेश पारित करने से परहेज किया और हाईकोर्ट में मामले के परिणाम का इंतजार करने का फैसला किया।
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय बलों की तैनाती के लिए कलकत्ता हाईकोर्ट के निर्देश की पुष्टि की; राज्य सरकार, एसईसी की चुनौतियों को खारिज किया
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कलकत्ता हाईकोर्ट के उस आदेश की पुष्टि की, जिसमें पश्चिम बंगाल राज्य चुनाव आयोग (डब्ल्यूबीएसईसी) को 2023 के पंचायत चुनावों के लिए पश्चिम बंगाल के सभी जिलों के लिए केंद्रीय बलों की मांग करने का निर्देश दिया गया था।
जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस मनोज मिश्रा की एक अवकाशकालीन पीठ ने विपक्ष के नेता सुवेंधु अधिकारी द्वारा दायर जनहित याचिका में हाईकोर्ट द्वारा पारित निर्देशों को चुनौती देने वाली पश्चिम बंगाल राज्य और डब्ल्यूबीएसईसी द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया।
[केस टाइटल: पश्चिम बंगाल राज्य और अन्य बनाम सुवेंदु अधिकारी और अन्य। एसएलपी(सी) नंबर 12294/2023]
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
परिस्थितिजन्य साक्ष्य के मामले में सभी सिरों से श्रृंखला पूरी होनी चाहिए: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने यह दोहराते हुए कि परिस्थितिजन्य साक्ष्य के मामले में "सभी सिरों से श्रृंखला पूरी होनी चाहिए, जिससे अभियुक्त के अपराध को इंगित किया जा सके और अपराध के किसी अन्य सिद्धांत को भी बाहर रखा जा सके," दोषसिद्धि और उम्रकैद की सजा रद्द कर दी। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 2010 में हत्या के मामले में अभियुक्तों को उक्त सजा दी थी। अदालत परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार पर सजा के खिलाफ अपील पर सुनवाई कर रही थी।
केस टाइटल- लक्ष्मण प्रसाद @लक्ष्मण बनाम मध्य प्रदेश राज्य
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
मणिपुर हिंसा : सुप्रीम कोर्ट ने आदिवासियों की रक्षा के लिए निर्देश मांगने वाली ट्राइबल फोरम की याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने से इनकार किया; 3 जुलाई को सूचीबद्ध करने के लिए कहा
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एमएम सुंदरेश की अवकाश पीठ ने छुट्टियों में मणिपुर जनजातीय फोरम द्वारा दायर इंटरलोक्यूटरी एप्लिकेशन (आईए) को तत्काल सूचीबद्ध करने से इनकार कर दिया। पीठ ने मामले की सुनवाई कल या परसों करने की मांग वाली याचिका भी खारिज कर दी और इसे तीन जुलाई के लिए सूचीबद्ध करने के लिए कहा।
मामले का उल्लेख सीनियर एडवोकेट कॉलिन गोंजाल्विस ने किया, जिन्होंने मामले की तात्कालिकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि हिंसा रोकने के लिए सरकार द्वारा दिए गए आश्वासनों के बावजूद 70 आदिवासी मारे गए। उन्होंने कहा कि अगर अदालत ने मामले की तत्काल सुनवाई नहीं की तो और आदिवासी मारे जाएंगे।
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
बंटवारे के साधारण वाद में स्वामित्व संबंधित निष्कर्ष तीसरे पक्ष को बाध्य नहीं कर सकता: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में तेलंगाना हाईकोर्ट के एक फैसले को बरकरार रखा, जिसमें कोर्ट ने हैदरनगर की "पैगाह भूमि" पर रैयत किसानों के उत्तराधिकारियों के स्वामित्व को बरकरार रखा। जस्टिस वी. रामासुब्रमण्यन और जस्टिस पंकज मित्तल की पीठ ने मैसर्स ट्रिनिटी इन्फ्रावेंचर्स लिमिटेड सहित प्रतिद्वंद्वी दावेदारों/अपीलकर्ताओं की ओर से स्वामित्व के दावे को इस आधार पर खारिज कर दिया कि भूमि दिवंगत नवाब खुर्शीद जाह की मातृका संपत्ति थी, जिसे हैदराबाद के निज़ाम द्वारा एक पैगाह के रूप में उन्हें प्रदान किया गया था।
केस टाइटल: मैसर्स ट्रिनिटी इन्फ्रावेंचर्स लिमिटेड और अन्य बनाम एमएस मूर्ति व अन्य।
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव: सुप्रीम कोर्ट में सभी जिलों में केंद्रीय बलों की मांग के लिए कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एमएम सुंदरेश की अवकाश पीठ कलकत्ता हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली एसएलपी को मंगलवार को सूचीबद्ध करने पर सहमत हो गई, जिसमें पश्चिम बंगाल राज्य चुनाव आयोग को 2023 के पंचायत चुनावों के लिए पश्चिम बंगाल में सभी जिलों के लिए केंद्रीय बलों की मांग करने का निर्देश दिया गया था। इस मामले का उल्लेख सीनियर एडवोकेट मीनाक्षी अरोड़ा ने किया, जिन्होंने तर्क दिया कि एसईसी केवल संवेदनशील क्षेत्रों का आकलन कर सकता है, लेकिन मांग नहीं भेज सकता।
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
'हज यात्रियों को बिना मनोवैज्ञानिक दबाव के जाने दें': सुप्रीम कोर्ट ने हज ग्रुप आयोजकों के रजिस्ट्रेशन रद्द करने पर लगी रोक के खिलाफ याचिका पर सुनवाई से इनकार किया
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ केंद्र सरकार की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें कुछ प्रायवेट हज ग्रुप आयोजकों के रजिस्ट्रेशन को रद्द करने पर लगी रोक के खिलाफ अपील की गई थी।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एमएम सुंदरेश की अवकाशकालीन पीठ के समक्ष यह मामला उठा। संघ की ओर से उपस्थित एएसजी संजय जैन ने तर्क दिया कि यदि निजी हज ऑपरेटरों, जिन्हें उन्होंने "अपराधी" के रूप में वर्णित किया है, उन्हें हज यात्राओं पर ले जाने की अनुमति दी गई तो हज यात्री अंततः पीड़ित होंगे।