क्या 1 जुलाई, 2024 से पहले दर्ज की गई शिकायतों पर संज्ञान लेने पर BNSS की धारा 223 लागू होगी?: सुप्रीम कोर्ट तय करेगा
Shahadat
15 Aug 2025 10:45 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें एक महत्वपूर्ण कानूनी प्रश्न उठाया गया कि क्या भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) 2023 की धारा 223, 1 जुलाई, 2024 से पहले दर्ज की गई शिकायतों पर 1 जुलाई, 2024 के बाद संज्ञान लेने पर लागू होगी।
BNSS 1 जुलाई, 2024 से प्रभावी हुआ। BNSS की धारा 223(1) के प्रावधान के अनुसार, किसी शिकायत पर संज्ञान लेने से पहले अभियुक्त को सुनवाई का अवसर दिया जाना चाहिए। दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) में ऐसा कोई प्रावधान नहीं था, जिसे BNSS ने प्रतिस्थापित कर दिया।
यह मुद्दा प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दायर अभियोजन शिकायत के संबंध में उठा। हालांकि, शिकायत 26 जून, 2024 को दायर की गई, लेकिन स्पेशल कोर्ट ने 2 जुलाई, 2024 को संज्ञान लिया। अभियुक्तों ने संज्ञान आदेश को चुनौती देते हुए तर्क दिया कि यह BNSS की धारा 223 का पालन न करने के कारण अवैध है।
हालांकि, उत्तराखंड हाईकोर्ट ने इस तर्क पर चुनौती खारिज कर दी कि चूंकि शिकायत BNSS के लागू होने से पहले दायर की गई, इसलिए धारा 223 लागू नहीं होती।
हाईकोर्ट ने BNSS की धारा 531 का हवाला दिया, जिसमें कहा गया कि 01.07.2024 से पहले लंबित कोई भी अपील, आवेदन, सुनवाई, जांच या जांच दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (CrPC) द्वारा शासित होती रहेगी, न कि BNSS द्वारा।
याचिकाकर्ता ने इस तर्क को चुनौती देते हुए कहा कि 1 जुलाई, 2024 से पहले उनके खिलाफ कोई कार्यवाही लंबित नहीं थी। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि स्पेशल जज के समक्ष शिकायत प्रस्तुत करने या दायर करने मात्र से ही CrPC की धारा 2(जी) के अर्थ में जांच शुरू नहीं मानी जा सकती। कानून के तहत जांच तभी शुरू मानी जा सकती है, जब जज शिकायत पर न्यायिक विवेक का प्रयोग करें और निर्धारित कानून के अनुसार संज्ञान लें। याचिकाकर्ता के अनुसार, कार्यवाही 2 जुलाई, 2024 को ही शुरू हुई, जब संज्ञान लिया गया।
यह भी तर्क दिया गया कि यद्यपि ED द्वारा शिकायत 24.06.2024 को प्रस्तुत की गई, लेकिन इसे औपचारिक रूप से स्पेशल कोर्ट के समक्ष 02.07.2024 को ही दायर किया गया था।
जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस एनके सिंह की खंडपीठ ने याचिका पर ED को नोटिस जारी किया। खंडपीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि आगे की कार्यवाही याचिका के परिणाम के अधीन होगी।
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने कुशल कुमार अग्रवाल बनाम प्रवर्तन निदेशालय मामले में यह व्यवस्था दी थी कि धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) की धारा 44(1)(बी) के तहत धन शोधन की शिकायत का संज्ञान लेने से पहले, विशेष अदालत को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (BNSS) की धारा 223(1) के प्रावधान के अनुसार अभियुक्त को सुनवाई का अवसर देना होगा। हालांकि, उक्त निर्णय में इस मुद्दे पर विचार नहीं किया गया कि क्या यह प्रावधान 1 जुलाई, 2024 से पहले दायर की गई शिकायतों पर लागू होता है।
Case : Parvinder Singh v. Directorate of Enforcement | SLP (Crl) 12055/2025

