"इसके बजाय आपने लॉ स्कूल में पढ़ाई क्यों नहीं की?" : सुप्रीम कोर्ट ने संविधान में "पुरुष" सर्वनाम को खत्म करने की मांग वाली जनहित याचिका खारिज की

Shahadat

4 July 2023 8:06 AM GMT

  • इसके बजाय आपने लॉ स्कूल में पढ़ाई क्यों नहीं की? : सुप्रीम कोर्ट ने संविधान में पुरुष सर्वनाम को खत्म करने की मांग वाली जनहित याचिका खारिज की

    Supreme Court

    सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को तुच्छ जनहित याचिकाओं (पीआईएल) के माध्यम से "प्रक्रिया के दुरुपयोग" की तीखी निंदा की।

    चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की खंडपीठ ने संवैधानिक प्रावधानों में "पुरुष" सर्वनाम को खत्म करने की मांग करने वाले याचिकाकर्ता की आलोचना की।

    विचाराधीन याचिकाकर्ता लॉ स्टूडेंट है, जो व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुआ। उसने तर्क दिया कि संवैधानिक प्रावधानों में "पुरुष" सर्वनामों का उपयोग लैंगिक भेदभाव है और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।

    हालांकि, सीजेआई चंद्रचूड़ ने अपनी अस्वीकृति व्यक्त करने में कोई समय बर्बाद नहीं किया।

    उन्होंने याचिकाकर्ता से सवाल किया,

    "ऐसी जनहित याचिकाएं लेकर आने के बजाय आपने लॉ स्कूल में पढ़ाई क्यों नहीं की?"

    सीजेआई ने तब लिंग-विशिष्ट भाषा वाले संवैधानिक प्रावधानों को समाप्त करने की व्यवहार्यता पर सवाल उठाया, इस बात पर प्रकाश डाला कि नए प्रावधान पहले से ही "चेयरपर्सन" जैसे लिंग-तटस्थ शब्दों की ओर बढ़ चुके हैं।

    इस पर याचिकाकर्ता ने तर्क दिया,

    "यह समानता का उल्लंघन है... लोग समझते हैं कि चेयरमैन का मतलब आदमी होता है..."

    हालांकि, सीजेआई आश्वस्त नहीं थे और उन्होंने याचिकाकर्ता से स्पष्ट रूप से पूछा कि क्या "चेयरमैन" को "चेयरपर्सन" से बदलने का मतलब यह है कि महिला इस पद के लिए पात्र नहीं होगी।

    सीजेआई चंद्रचूड़ ने पूछा,

    "अब आप संवैधानिक प्रावधानों को खत्म कर देंगे? नए प्रावधानों में "चेयरपर्सन" का उल्लेख है। यदि पुराने प्रावधानों में "चेयरपर्सन" का उल्लेख है तो क्या महिला को नियुक्त नहीं किया जाएगा? यह किस मौलिक अधिकार का उल्लंघन है? मामला खारिज किया जाता है।"

    खंडपीठ ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता लॉ स्टूडेंट नहीं होता तो मामले में जुर्माना लगाया जाता।

    Next Story