वैवाहिक विवादों में जमानत के लिए भरण-पोषण के भुगतान की शर्त नहीं हो सकती : सुप्रीम कोर्ट
Shahadat
15 Jan 2025 8:26 AM

वैवाहिक विवाद से उत्पन्न एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में जमानत की शर्त खारिज की, जिसके तहत पति की अग्रिम जमानत पत्नी को भरण-पोषण के भुगतान के अधीन थी।
जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की खंडपीठ ने कहा,
"जब जमानत के लिए आवेदन दायर किया जाता है तो न्यायालय को ऐसी जमानत शर्तें लगाने की आवश्यकता होती है, जो यह सुनिश्चित करें कि अपीलकर्ता न्याय से भाग न जाए और मुकदमे का सामना करने के लिए उपलब्ध हो। इसलिए ऐसी शर्तें लगाना उचित नहीं होगा, जो सीआरपीसी की धारा 438 के तहत शक्ति के प्रयोग के लिए अप्रासंगिक हों।"
संक्षेप में कहा जाए तो अपीलकर्ता-पति ने धारा 498 (ए), 504, 379 और 34 आईपीसी और दहेज निषेध अधिनियम की धारा 4 के तहत अपराधों के लिए दर्ज मामले में गिरफ्तारी की आशंका के चलते पटना हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। अग्रिम जमानत देते समय हाईकोर्ट ने अपीलकर्ता की शिकायतकर्ता-पत्नी को भरण-पोषण देने की इच्छा को देखते हुए यह शर्त लगाई कि उसे अपनी पत्नी के अकाउंट में 4000/- (प्रति माह) जमा करना होगा। अपीलकर्ता द्वारा लगातार 2 महीने तक भरण-पोषण न देने की स्थिति में निचली अदालत को उसकी जमानत बांड रद्द करने की छूट दी गई।
इस आदेश को चुनौती देते हुए अपीलकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड फौजिया शकील अपीलकर्ता-पति की ओर से पेश हुईं और उन्होंने कहा कि अपीलकर्ता को शिकायतकर्ता-पत्नी से शादी करने के लिए मजबूर किया गया। उन्होंने आगे बताया कि अपीलकर्ता ने विवाह रद्द करने के लिए सक्षम न्यायालय का रुख किया है, जिसकी कार्यवाही लंबित है।
हालांकि शिकायतकर्ता-पत्नी उपस्थित नहीं हुई, लेकिन राज्य के वकील ने अपीलकर्ता की दलीलों पर आपत्ति जताई और आग्रह किया कि अपीलकर्ता द्वारा भुगतान करने के लिए स्वयं की पेशकश के बाद जमानत की शर्त लगाई गई।
अभिलेखों को देखने के बाद न्यायालय ने कहा कि हाईकोर्ट द्वारा लगाई गई जमानत की शर्त, जिसमें अपीलकर्ता को पत्नी को 4000 रुपये मासिक भरण-पोषण देने का निर्देश दिया गया, उचित नहीं थी।
आदेश में उल्लेख किया गया,
“हालांकि, अपीलकर्ता कानून के अनुसार उपलब्ध रहने और मुकदमे का सामना करने के लिए बाध्य है। इसलिए ट्रायल कोर्ट को अपीलकर्ता को जमानत पर रहने की सुविधा देने के लिए उचित जमानत की शर्तें लगानी चाहिए, जबकि 17.07.2023 के विवादित आदेश के तहत जमानत का लाभ उठा रहा है।”