15 वर्षीय लड़की का बलात्कार और हत्या | उत्तराखंड हाईकोर्ट ने 2018 में मौत की सज़ा पाए व्यक्ति को बरी किया
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हाल ही में 15 वर्षीय लड़की के बलात्कार और हत्या से जुड़े मामले में एक व्यक्ति को निचली अदालत द्वारा दी गई मौत की सज़ा को पलट दिया।
चीफ जस्टिस रितु बाहरी और जस्टिस आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने हत्या और बलात्कार के आरोपी को दोषी ठहराते हुए अभियोजन पक्ष के मामले और निचली अदालत के रिकॉर्ड में कई खामियों की ओर इशारा किया।
न्यायालय ने इस बात पर ज़ोर दिया कि मामले में आरोपी (मोहम्मद अज़हर) की भूमिका जैसा कि अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया, संदिग्ध हैं।
न्यायालय ने कहा कि उसकी चोटों को देखते हुए यह असंभव है कि वह मोटरसाइकिल चलाकर मृतका को घटनास्थल पर ले गया हो बलात्कार किया हो। फिर उसकी हत्या करने के बाद शव को वापस लाकर पेड़ से लटका दिया हो, जिससे वह मृतका के घर में मौजूद लोगों सहित सभी को दिखाई दे।
इसे देखते हुए यह कहते हुए कि अभियोजन पक्ष का पूरा बयान संदिग्ध है, हाईकोर्ट ने एडिशनल सेशन जज/एफटीसी/विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो), देहरादून द्वारा पारित निर्णय और आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें उसे दोषी ठहराया गया और उसे मृत्युदंड की सजा सुनाई गई।
संक्षेप में मामला
अभियोजन पक्ष के मामले के अनुसार, घटना 1 जनवरी 2016 को हुई, जब पीड़ित लड़की लापता हो गई। अगले दिन उसका शव देहरादून के त्यूनी में सेता बेंड के पास पेड़ से लटका हुआ मिला।
उसके भाई (पीडब्लू-1) ने दावा किया कि उसने अपनी बहन को आखिरी बार आरोपी मोहम्मद अजहर और उसके साथी निर्मल जो जुवेनाइल है, उसके साथ देखा था, जिसके कारण 5 जनवरी को उनकी गिरफ्तारी हुई।
अभियोजन पक्ष का मामला यह है कि नाबालिग से बलात्कार करने के बाद आरोपी ने इसे आत्महत्या का मामला दिखाने के लिए उसके शव को पेड़ से लटका दिया।
अभियोजन पक्ष के दस गवाहों की गवाही, DNA रिपोर्ट, अभियुक्तों के बयान और प्रस्तुत अन्य साक्ष्यों के आधार पर ट्रायल कोर्ट ने 12 दिसंबर, 2018 को अभियुक्त को दोषी ठहराया और उसे आईपीसी की धारा 302 और 376 तथा POCSO Act की धारा 4 के तहत अपराध करने के लिए मौत की सजा सुनाई। निर्मल को दोषी ठहराया गया।
इसके बाद अभियुक्त ने हाईकोर्ट में फैसले की अपील की।
हाईकोर्ट की टिप्पणियां
अभियोजन पक्ष द्वारा रिकॉर्ड पर रखे गए साक्ष्यों और ट्रायल कोर्ट के फैसले की जांच करने के बाद न्यायालय ने पाया कि यदि अभियोजन पक्ष के कथन को सही माना भी जाए तो भी यह अत्यधिक संदिग्ध है कि अभियुक्त ने शव को मोटरसाइकिल पर लाया होगा। उसके बाद शव को पेड़ पर लटकाया होगा, जहां से साक्ष्यों के अनुसार मृतक के घर से शव दिखाई दे रहा था।
न्यायालय ने पाया कि यह अत्यधिक संदिग्ध होगा कि हत्या और बलात्कार करने वाला कोई भी व्यक्ति शव को ऐसी जगह से लटकाएगा, जहां से वह सभी को दिखाई दे।
न्यायालय ने यह भी उल्लेख किया कि ट्रायल कोर्ट ने पाया कि गवाह पीडब्लू-1 (मृतक का भाई) ने गवाही दी थी कि आरोपी पिछली दुर्घटना में लगी चोटों के कारण चार पहिया वाहन नहीं चला सकता था। पीडब्लू 1 ने अपनी चोटों के कारण महीनों तक कोई वाहन नहीं चलाया था।
न्यायालय ने कहा कि इस तथ्य से इस संभावना पर संदेह पैदा होता है कि आरोपी मोटरसाइकिल चला सकता था। इसके अलावा, किशोर निर्मल के बरी होने के बाद न्यायालय ने कहा कि अपराध स्थल पर निर्मल की उपस्थिति पर भी सवाल उठाया गया।
इसके परिणामस्वरूप, न्यायालय ने पाया कि पीडब्लू 2 की गवाही जिसमें दावा किया गया कि उसने पीड़ित को निर्मल और अजहर के साथ मोटरसाइकिल चलाते हुए देखा, भी संदिग्ध थी, क्योंकि यह संभावना नहीं है कि अजहर अपनी चोटों के साथ मोटरसाइकिल चला सकता था।
खंडपीठ ने कहा,
"यह कथन भी अत्यधिक संदिग्ध है यदि उसने बलात्कार और हत्या की होती तो वह शव को वहीं छोड़ देता और विशेष रूप से उसे लगी चोटों को देखते हुए यह अत्यधिक संदिग्ध है कि वह शव को मोटरसाइकिल पर ले जाता। उसके बाद शव को पेड़ पर लटका देता, जहां से साक्ष्य के अनुसार मृतक के घर से शव दिखाई देता था और यह अत्यधिक संदिग्ध है कि हत्या और बलात्कार करने वाला कोई भी व्यक्ति शव को उस स्थान से लटकाता, जहां से वह सभी को दिखाई देता है।"
न्यायालय ने एक और तथ्य को ध्यान में रखा कि जब पीड़िता का शव बरामद किया गया तो उसने लेगिंग पहन रखी थी और खून लगा हुआ था। हालांकि लेगिंग में कोई वीर्य नहीं था और उसने कोई अंडरगारमेंट भी नहीं पहना हुआ था। न्यायालय ने कहा कि यदि उसके साथ बलात्कार किया गया तो यह संभव नहीं था कि खून मौजूद होने पर लेगिंग में वीर्य न हो।
इसलिए न्यायालय ने निष्कर्ष निकाला कि DNA रिपोर्ट को दोषसिद्धि का आधार नहीं बनाया जा सकता, इसलिए शव बरामद होने पर लेगिंग में वीर्य की अनुपस्थिति ने इस बात को और अधिक संदिग्ध बना दिया कि उसके साथ बलात्कार किया गया।
न्यायालय ने यह भी नोट किया कि अपराध सिद्ध करने वाली वस्तुओं की बरामदगी भी संदिग्ध थी।
इस पृष्ठभूमि के विरुद्ध मृत्यु संदर्भ का तदनुसार उत्तर दिया गया और अभियुक्त द्वारा दायर अपील को स्वीकार किया गया।
केस टाइटल - उत्तराखंड राज्य बनाम मोहम्मद अजहर @ अंती [आपराधिक संदर्भ संख्या 06 वर्ष 2018]