नैनीताल पंचायत चुनाव हिंसा पर हाईकोर्ट सख्त: मीडिया को कोर्ट रूम रिपोर्टिंग से रोका, बढ़ती बंदूक संस्कृति पर जताई चिंता

Update: 2025-08-25 05:46 GMT

नैनीताल पंचायत चुनावों में हिंसा, अपहरण और फायरिंग की घटनाओं पर सख्त रुख अपनाते हुए उत्तराखंड हाईकोर्ट ने मीडिया को कोर्ट रूम की कार्यवाही रिपोर्ट करने से रोक दिया। साथ ही राज्य में बढ़ती बंदूक संस्कृति पर गंभीर चिंता जताई।

चीफ जस्टिस जी. नरेंदर और जस्टिस सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने कहा कि कोर्ट की लाइव स्ट्रीमिंग, बातचीत या इंटरैक्शन को बिना अनुमति प्रकाशित करना प्रतिबंधित है। अदालत ने स्पष्ट किया कि मीडिया केवल अदालत द्वारा पारित आदेशों को ही प्रकाशित कर सकता है।

कोर्ट ने कहा,

“मीडिया और तीसरे पक्ष अदालत में होने वाली चर्चाओं को प्रकाशित नहीं करेंगे। केवल आदेश प्रकाशित किए जा सकते हैं। लाइव स्ट्रीमिंग हाईकोर्ट की संपत्ति है और बिना अनुमति इसका प्रकाशन या प्रसार अवैध है।”

अदालत ने चुनावी हिंसा में अवैध हथियारों के इस्तेमाल पर कड़ी नाराजगी जताते हुए राज्य के गृह सचिव और पुलिस महानिदेशक को मामले में पक्षकार बनाया। कोर्ट ने कहा कि इस तरह की घटनाओं को जड़ से खत्म करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।

यह आदेश नैनीताल पंचायत चुनावों के दौरान बड़े पैमाने पर हिंसा, जिला पंचायत सदस्यों के अपहरण और अवैध हथियारों के इस्तेमाल के आरोपों पर दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान आया।

18 अगस्त को दिए गए आदेश के अनुपालन में नैनीताल के जिलाधिकारी ने 6 अगस्त से 18 अगस्त तक की घटनाओं की विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट में पेश की। वहीं, एसएसपी नैनीताल ने भी शपथपत्र दाखिल कर हिंसा से जुड़े तथ्यों को अदालत के समक्ष रखा।

14 अगस्त को हुई फायरिंग और अपहरण की घटनाओं पर कोर्ट ने कहा कि ये घटनाएं सभी के लिए चिंता का विषय हैं।

कोर्ट ने टिप्पणी की,

“अवैध हथियारों से हत्या के प्रयास तक की घटनाएं हो रही हैं, जिन्हें सख्ती से रोका जाना चाहिए।”

पिछली सुनवाई में यह जानकारी दी गई थी कि पांच निर्वाचित प्रतिनिधि लापता हैं। पुलिस का कहना था कि उन्हें उनके परिजनों ने बताया कि वे अपनी इच्छा से कहीं गए और सुरक्षा की आवश्यकता नहीं है। हालांकि, याचिकाकर्ता ने अदालत में वीडियो पेश किया, जिसमें एक प्रत्याशी दिकर सिंह मेवारी को कुछ लोगों द्वारा जबरन ले जाते हुए दिखाया गया।

अदालत ने इसे 'चौंकाने वाला' बताया कि घटना के दौरान एक सशस्त्र पुलिसकर्मी वहां मौजूद था लेकिन उसने कुछ नहीं किया। अपहृत प्रत्याशियों के परिजन भी अदालत में पेश हुए और बयान दिया कि उनके परिजनों को जबरन ले जाया गया।

इन परिस्थितियों को देखते हुए हाईकोर्ट ने एसएसपी को निर्देश दिया कि लापता प्रत्याशियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए और जरूरत पड़ने पर मतदान समय बढ़ाया जाए। साथ ही दस अन्य निर्वाचित सदस्यों को सुरक्षा मुहैया कराने और पर्याप्त पुलिस बल के साथ मतदान केंद्र तक पहुंचाने का आदेश दिया।

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