कुछ व्यक्तियों द्वारा पूरे समुदाय को धमकाना संभव नहीं: उत्तराखंड हाइकोर्ट ने निजी व्यक्तियों के विरुद्ध बाल्मीकि समाज की सुरक्षा की मांग वाली याचिका खारिज की

Update: 2024-06-13 13:10 GMT

उत्तराखंड हाइकोर्ट के जस्टिस मनोज कुमार तिवारी और पंकज पुरोहित ने हाल ही में दिए गए अपने फैसले में बाल्मीकि समाज, महानगर, कोटद्वार द्वारा अपने अध्यक्ष दिलेंद्र गोदियाल के माध्यम से दायर रिट याचिका खारिज की। उक्त याचिका में कुछ व्यक्तियों द्वारा कथित उत्पीड़न और धमकियों के विरुद्ध सामूहिक सुरक्षा की मांग की गई।

सुशील कुमार द्वारा प्रतिनिधित्व किए गए याचिकाकर्ता ने न्यायालय से हस्तक्षेप करने और अधिकारियों को प्रतिवादियों के विरुद्ध उच्च स्तरीय जांच करने और समाज के सदस्यों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश देने का आग्रह किया। हालांकि, उत्तराखंड राज्य के उप एडवोकेट जनरल जे.एस. विर्क ने आरोपों का विरोध करते हुए तर्क दिया कि प्रतिवादियों के विरुद्ध दावे निराधार हैं।

याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि प्रतिवादी बाल्मीकि समाज के सदस्यों को परेशान कर रहे हैं और उन्हें झूठे मामलों में फंसाने की धमकी दे रहे हैं इसलिए सुरक्षा की मांग कर रहे हैं। इसके विपरीत, राज्य के वकील ने तर्क दिया कि आरोप निराधार हैं, उन्होंने कहा कि बाल्मीकि समाज से संबंधित कुछ व्यक्ति पूरे समुदाय के लिए खतरा पैदा नहीं कर सकते।

अपने फैसले मे अदालत ने कहा कि बाल्मीकि समाज के व्यक्तिगत सदस्यों के प्रति उत्पीड़न के मामले हो सकते हैं, लेकिन कुछ व्यक्तियों द्वारा पूरे समुदाय के लिए खतरा पैदा करना उचित नहीं है।

पीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा,

"निजी प्रतिवादी बाल्मीकि समाज के एक या दो व्यक्तिगत सदस्यों के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं। हालांकि 2-3 व्यक्तियों द्वारा पूरे बाल्मीकि समाज या पूरे समुदाय के लिए खतरा पैदा करना संभव नहीं है। इसलिए हम अनुरोध के अनुसार राहत देने के लिए इच्छुक नहीं हैं।"

केस टाइटल- बाल्मीकि समाज महानगर बनाम उत्तराखंड राज्य

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