नाबालिग लड़कियों के साथ डेटिंग करने वाले किशोर लड़कों को POCSO Act के तहत गिरफ्तार करने के बजाय काउंसलिंग पर विचार किया जाए: उत्तराखंड हाईकोर्ट

Update: 2024-07-05 11:20 GMT

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सोमवार को राज्य सरकार से कहा कि वह नाबालिग लड़कियों के साथ डेटिंग करने वाले किशोर लड़कों को यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम (POCSO Act) के तहत गिरफ्तार करने के बजाय काउंसलिंग की संभावना तलाशे।

चीफ जस्टिस रितु बाहरी और जस्टिस राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने POCSO Act के तहत सहमति से रोमांटिक संबंधों में शामिल किशोर लड़कों की गिरफ्तारी को रोकने के लिए निर्देश देने की मांग करने वाली एक जनहित याचिका (PIL) पर भारत संघ और राज्य सरकार को नोटिस जारी किया।

एडवोकेट मनीषा भंडारी द्वारा दायर जनहित याचिका में इस मुद्दे की विस्तृत जांच की मांग की गई। साथ ही ऐसे मामलों पर प्रकाश डाला गया, जहां 16 से 18 वर्ष की आयु के युवा जोड़ों को अक्सर लड़की के माता-पिता द्वारा दर्ज की गई शिकायतों के आधार पर कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ता है।

1 जुलाई को जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने राज्य सरकार को यह जांच करने का निर्देश दिया कि क्या सीआरपीसी की धारा 161 के तहत बयान दर्ज करना लड़के को गिरफ्तार न करने के लिए पर्याप्त होगा, जो लड़की के साथ डेट पर गया।

न्यायालय ने अपने आदेश में कहा,

"अधिक से अधिक उसे इन चीजों में लिप्त न होने की सलाह देने के लिए बुलाया जा सकता है, लेकिन उसे गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए। राज्य इस मुद्दे की जांच कर सकता है और पुलिस विभाग के लिए सामान्य निर्देश जारी कर सकता है।"

जनहित याचिका में कहा गया कि आजकल, युवा किशोर बच्चे डेटिंग में लिप्त हैं और माता-पिता की जानकारी में डेटिंग करने की क्रिया कई झूठे मनगढ़ंत संस्करणों और अंत में एफआईआर की ओर ले जाती है "जिससे पुरुष समकक्ष सलाखों के पीछे पहुंच जाता है और उसका पूरा भविष्य खतरे में पड़ जाता है"।

जनहित याचिका में कहा गया,

"इसके विपरीत, समय की मांग यह है कि किसी भी तरह की कैद न हो और बच्चों या युवा लड़के और लड़कियों को उचित परामर्श मिले और उनकी हिरासत उनके संबंधित माता-पिता को सौंप दी जाए।"

इसमें यह भी दलील दी गई कि प्रतिवादियों को इस मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए कि 16 से 18 वर्ष की आयु के बीच का लड़का और लड़की डेटिंग कर रहे हैं। यदि लड़की के माता-पिता शिकायत दर्ज कराते हैं तो लड़के को गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि इस संदर्भ में POCSO Act की धारा 3, 4, 5, 6 और 7 के तहत कोई अपराध स्थापित नहीं होता है।

इन दलीलों की पृष्ठभूमि में जनहित याचिका में यह घोषित करने के लिए निर्देश देने की प्रार्थना की गई कि 16 वर्ष से कम आयु के दो व्यक्तियों के बीच सहमति से किए गए कार्य POCSO Act के तहत अपराध नहीं माने जाएंगे और ऐसे व्यक्तियों को POCSO Act के तहत आरोपी नहीं बनाया जाएगा। उन्हें उक्त सहमति से किए गए कार्यों के लिए गिरफ्तार या हिरासत में नहीं लिया जाएगा, और इसके बजाय उन्हें परामर्श प्रदान किया जाएगा।

16 से 18 वर्ष की आयु के नाबालिगों के लिए भी इसी तरह की प्रार्थना की गई। इसमें आगे यह निर्देश देने की मांग की गई कि उन्हें (16-18 वर्ष के नाबालिगों को) किशोर न्याय अधिनियम की धारा 15 के तहत परिकल्पित मूल्यांकन की प्रकृति में प्रारंभिक मूल्यांकन के लिए बोर्ड के पास भेजा जाए, जिसमें बोर्ड नाबालिग की वैध सहमति देने की मानसिक और शारीरिक क्षमता के संबंध में प्रारंभिक मूल्यांकन करेगा और जहां ऐसा नाबालिग उक्त कार्य के लिए वैध सहमति देने में सक्षम पाया जाता है तो ऐसे व्यक्तियों को POCSO Act के तहत आरोपी नहीं बनाया जाएगा। उक्त सहमति वाले कृत्यों के लिए उन्हें गिरफ्तार या हिरासत में नहीं लिया जाएगा और उन्हें परामर्श प्रदान किया जाएगा।

अंत में, जनहित याचिका में यह भी अनुरोध किया गया कि निर्देश दिया जाए कि जब दो व्यक्तियों के बीच सहमति से यौन क्रियाएं होती हैं, जहां एक 18 वर्ष से अधिक और दूसरा 16 से 18 वर्ष के बीच का होता है तो नाबालिग को किशोर न्याय अधिनियम की धारा 15 के तहत प्रारंभिक मूल्यांकन से गुजरना चाहिए।

जनहित याचिका में तर्क दिया गया कि किशोर न्याय बोर्ड द्वारा यह मूल्यांकन नाबालिग की सहमति देने की मानसिक और शारीरिक क्षमता का मूल्यांकन करेगा। यदि नाबालिग को वैध सहमति देने में सक्षम माना जाता है तो किसी भी व्यक्ति पर POCSO Act के तहत आरोप नहीं लगाया जाना चाहिए, न ही उन्हें सहमति से किए गए कृत्यों के लिए गिरफ्तार या हिरासत में लिया जाना चाहिए।

मामले की अगली सुनवाई 6 अगस्त को होगी।

Tags:    

Similar News