'Wild Karnataka' डॉक्यूमेंट्री पर विवाद के सुप्रीम कोर्ट ने नेटफ्लिक्स को निर्देश दिया

Update: 2024-01-26 04:42 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (25 जनवरी) को कर्नाटक हाईकोर्ट से 'Wild Karnataka' डॉक्यूमेंट्री के प्रसारण पर स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स के खिलाफ अवमानना कार्यवाही स्थगित करने के लिए कहा।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने मौखिक रूप से नेटफ्लिक्स को 'टाइगर प्रोटेक्शन फंड' में योगदान देने और विवाद को खत्म करने के लिए कहा।

सीजेआई ने कहा कि पीठ अन्य पक्षों, बीबीसी, डिस्कवरी इंडिया और प्रोड्यूसर्स को भी फंड में योगदान देने के लिए कहेगी और राशि तय करेगी।

सीजेआई ने टिप्पणी की,

"कुछ समाधान खोजें, बाघ संरक्षण कोष में कुछ योगदान करें, नेटफ्लिक्स ने भी इस पर पैसा कमाया है, आपको हमारे वन्य जीवन के लाभ के लिए भी कुछ करना चाहिए"।

सीजेआई ने नेटफ्लिक्स से कहा,

"सुनिश्चित करें कि आप कुछ ठोस प्रस्ताव लेकर आएं।"

पीठ को सूचित किया गया कि अवमाननाकर्ताओं ने हाईकोर्ट में माफी मांगी है। हालांकि, योगदान के लिए जो राशि की पेशकश की गई, वह डॉक्यूमेंट्री फिल्म की स्ट्रीमिंग/वितरण से उत्पन्न मुनाफे के संबंध में पर्याप्त नहीं है। इस फिल्म को निर्माताओं ने आइकॉन फिल्म्स लिमिटेड को 1 लाख 50 हजार पाउंड में बेच दिया था, जिसे आइकॉन फिल्म्स ने नेटफ्लिक्स सहित विभिन्न ब्रॉडकास्टर्स को दोबारा बेच दिया।

नेटफ्लिक्स का प्रतिनिधित्व सीनियर एडवोकेट साजन पूवैया ने किया, जबकि सीनियर एडवोकेट बालाजी श्रीनिवासन प्रतिवादियों (मूल विचारकों) की ओर से पेश हुए।

पीठ ने इस मामले को आइकॉन फिल्म्स लिमिटेड के ऐसे ही लंबित मामले के साथ टैग कर दिया, जिसमें कोर्ट पहले ही नोटिस जारी कर चुका है।

केस टाइटल- आइकॉन फिल्म्स लिमिटेड बनाम रवींद्र एन रेडकर और अन्य। | विशेष अनुमति याचिका (सिविल) संख्या 1460/2024

Tags:    

Similar News