बिहार में ढहते पुलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका, सभी पुलों के स्ट्रक्चरल ऑडिट की मांग
सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई। उक्त याचिका में बिहार सरकार को संपूर्ण स्ट्रक्चरल ऑडिट (Structural Audit) करने और किसी भी कमजोर पुल की पहचान करने के लिए एक उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समिति के गठन के निर्देश देने की मांग की गई, जिसे ध्वस्त या मजबूत करने की आवश्यकता हो सकती है।
यह याचिका पिछले 15 दिनों में 9 पुलों (निर्माणाधीन पुलों सहित) के ढहने की रिपोर्ट के मद्देनजर दायर की गई। याचिका के अनुसार, पुलों के ढहने से क्षेत्र में पुल के बुनियादी ढांचे की सुरक्षा और विश्वसनीयता के बारे में महत्वपूर्ण चिंताएं पैदा होती हैं, खासकर यह देखते हुए कि बिहार भारत में सबसे अधिक बाढ़-ग्रस्त राज्य है।
पीआईएल में न केवल ऑडिट बल्कि उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समिति के गठन की भी मांग की गई। यह समिति सभी पुलों की विस्तृत जांच और निरंतर निगरानी के लिए जिम्मेदार होगी, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे सार्वजनिक उपयोग के लिए सुरक्षित हैं।
याचिकाकर्ता ने राष्ट्रीय राजमार्गों और केंद्र प्रायोजित योजना के संरक्षण के लिए 4 मार्च, 2024 की अपनी नीति के माध्यम से भारत सरकार के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा विकसित उसी पद्धति के आधार पर पुलों की वास्तविक समय पर निगरानी की मांग की।
पीआईएल में अररिया, सीवान, मधुबनी और किशनगंज जिलों सहित नदी क्षेत्रों के आसपास कई पुल ढहने की घटना पर प्रकाश डाला गया।
याचिकाकर्ता ने कहा,
"यह गंभीर चिंता का विषय है कि बिहार जैसे राज्य में, जो भारत का सबसे अधिक बाढ़-प्रवण राज्य है, राज्य में कुल बाढ़ प्रभावित क्षेत्र 68,800 वर्ग किमी है, जो कुल भौगोलिक क्षेत्र का 73.06 प्रतिशत है। इसलिए बिहार में पुल गिरने की ऐसी नियमित घटनाएं अधिक विनाशकारी हैं, क्योंकि बड़े पैमाने पर लोगों की जान दांव पर लगी है। इसलिए लोगों की जान बचाने के लिए इस माननीय न्यायालय के तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता है, क्योंकि इसके निर्माण से पहले निर्माणाधीन पुल नियमित रूप से ढह गए।"
याचिका एडवोकेट ब्रजेश सिंह द्वारा दायर की गई।