जंगल की आग से ट्रैकर्स की मौत के लिए ट्रेक आयोजक जिम्मेदार नहीं: सुप्रीम कोर्ट ने बेल्जियम के नागरिक के खिलाफ एफआईआर रद्द की

Update: 2024-02-03 05:26 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में 2018 में केरल-तमिलनाडु सीमा पर जंगल की आग के कारण 13 ट्रैकर्स की मौत पर बेल्जियम के नागरिक के खिलाफ एफआईआर रद्द की।

इस ट्रैकिंग अभियान का आयोजन और व्यवस्था बेल्जियम के नागरिक पीटर वान गीट के स्वामित्व वाली वेबसाइट के माध्यम से की गई। इसके आधार पर अपीलकर्ता भी मामले में उलझ गया। उन पर आईपीसी की धारा 304 ए और 338 के तहत आरोप लगाया गया।

आरोपियों ने मद्रास हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उसमें यह नोट किया गया कि उपर्युक्त ट्रैकिंग अभियान दल ने विशेष पथ पर जाने के लिए वन अधिकारियों की अनुमति का उल्लंघन किया। वे वहां से भटक कर घटनास्थल के पास पहुंच गये, जहां जंगल की आग फैल रही थी।

उन्होंने कहा,

''ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटना के लिए कौन जिम्मेदार है, यह ट्रायल का विषय है। जब उपरोक्त अभियान की व्यवस्था वेबसाइट के माध्यम से की गई, जिसे याचिकाकर्ता द्वारा संचालित किया गया तो उसे ट्रायल प्रक्रिया के माध्यम से अपनी बेगुनाही साबित करनी होगी। जब उपरोक्त घटना में नौ से अधिक लोगों की जान चली गई तो मेरा मानना है कि जब तक मजबूत सामग्री रिकॉर्ड पर नहीं रखी जाती, याचिकाकर्ता के खिलाफ कार्यवाही रद्द नहीं की जा सकती।''

हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि मालिक होने के नाते अपीलकर्ता का यह कर्तव्य है कि वह यह देखे कि ट्रैकिंग सही अनुमत पथ पर हो। इस प्रकार, हाईकोर्ट ने एफआईआर रद्द करने से इनकार किया। इस पृष्ठभूमि में अपीलकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ ने हाईकोर्ट के दृष्टिकोण से असहमत होते हुए कहा कि जो लोग ट्रैकिंग अभियान का हिस्सा थे, उनकी मृत्यु दैवीय कृत्य के कारण हुई।

अदालत ने कहा,

अपीलकर्ता पर कोई लापरवाही नहीं की जा सकती, जिसने केवल ट्रैकिंग अभियान के आयोजन में मदद की।

यह भी कहा गया कि आयोजक और अपीलकर्ता जंगल की आग से अनजान थे। यह अपीलकर्ता की ओर से बिना किसी आपराधिक इरादे के एक सरासर घटना थी।

खंडपीठ ने कहा,

"यहां अपीलकर्ता को कोई लापरवाही नहीं दी जा सकती, जिसने केवल ट्रैकिंग अभियान के आयोजन में मदद की। जैसा कि पहले ही उल्लेख किया गया, आयोजकों के साथ-साथ अपीलकर्ता और यहां तक कि ट्रैकिंग अभियान के सदस्य भी जंगल की आग से पूरी तरह से अनजान थे। दुर्घटनावश वे जंगल की आग में घिर गए और उनकी मृत्यु केवल दुर्घटना से हुई, न कि अपीलकर्ता की किसी लापरवाही या किसी आपराधिक इरादे के कारण। यहां अपीलकर्ता की जंगल की आग के कारण मरने वाले ट्रेकर्स की मौत में कोई भूमिका नहीं थी, जो प्राकृतिक कारण है।

इस प्रकार, न्यायालय ने हरियाणा राज्य बनाम भजन लाल पर भरोसा करते हुए अपीलकर्ता के खिलाफ कार्यवाही रद्द की।

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