Telangana MBBS/BDS Admissions : सुप्रीम कोर्ट ने स्थानीय कोटे के लिए 'लगातार 4 साल पढ़ाई' के मानदंड को हटाने वाले हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई

Update: 2024-09-20 13:42 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना राज्य द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें तेलंगाना हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी गई, जिसमें MBBS/BDS पाठ्यक्रमों में स्थानीय कोटे की सीटों पर एडमिशन पाने के लिए स्थायी निवासियों के लिए 'राज्य में 4 साल लगातार पढ़ाई या निवास की आवश्यकता' को हटा दिया गया था।

हालांकि, राज्य ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष उन याचिकाकर्ताओं के लिए एक बार की छूट देने पर सहमति जताई, जिन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ तेलंगाना हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कहा गया कि मेडिकल एडमिशन में डोमिसाइल कोटे का लाभ पाने के लिए स्थायी निवासी को लगातार 4 साल तक तेलंगाना में पढ़ाई या निवास करने की आवश्यकता नहीं है।

हाईकोर्ट के समक्ष याचिकाओं के समूह ने तेलंगाना मेडिकल और डेंटल कॉलेज प्रवेश (MBBS/BDS पाठ्यक्रमों में एडमिशन) नियम, 2017 (नियम 2017) के नियम 3 (ए) की वैधता को चुनौती दी, जिसे राज्य द्वारा 19 जुलाई को संशोधित किया गया। संशोधन जी.ओ. संख्या 33 दिनांक 19.7.2024 के अनुसार किया गया।

नियम 2017 के संशोधित नियम 3 (ए) में प्रावधान है कि स्थानीय उम्मीदवारों के लिए 'सक्षम प्राधिकारी कोटा' के तहत एडमिशन चाहने वाले उम्मीदवार को लगातार 4 वर्षों की अवधि के लिए तेलंगाना राज्य में अध्ययन करना चाहिए या 4 वर्षों तक राज्य में रहना चाहिए। इसके अलावा, उम्मीदवार को तेलंगाना राज्य से योग्यता परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी।

सीजेआई ने तेलंगाना राज्य सरकार के निर्देश पर सीनियर एडवोकेट एएम सिंघवी द्वारा हाईकोर्ट के समक्ष बयान दर्ज किया कि मेडिकल एडमिशन के लिए स्थानीय कोटा मानदंड में ढील देने के संदर्भ में वर्तमान 135 स्टूडेंट के लिए एक बार का अपवाद बनाया जा सकता है। पीठ ने नोटिस जारी करते हुए विवादित निर्णय के क्रियान्वयन पर भी रोक लगा दी।

"हाईकोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ता (इस न्यायालय के समक्ष प्रतिवादी), जो विवादित हाईकोर्ट के आदेश द्वारा शासित होंगे, उसको चल रही काउंसलिंग प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति दी जाएगी, जो 30 सितंबर 2024 को समाप्त होगी। बयान स्वीकार किया जाता है। नोटिस जारी किया जाता है, जिसका 3 सप्ताह बाद जवाब दिया जा सकता है, इस बीच जवाब दाखिल किया जाना है। अगली लिस्टिंग तक तेलंगाना सरकार द्वारा दिए गए उक्त बयान पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना हाईकोर्ट के 5 सितंबर 2024 के विवादित आदेश पर रोक रहेगी।"

सिंघवी ने शुरू में यह भी बताया कि कैसे विदेशों से तेलुगु भाषी स्टूडेंट को डोमिसाइल कोटा का लाभ लेने की अनुमति देना 'स्थानीय कोटा सीट' के मूल तत्व को ही नष्ट कर देगा।

"विदेश में एक बड़ा तेलुगु प्रवासी समुदाय है, जो विदेशों में रहता है, वे विदेशों में परीक्षा देते हैं। वे स्थानीय रूप से NEET परीक्षा देंगे, जिसमें सभी स्थानीय लोग विस्थापित होंगे। आंध्र के लोग यहां आकर परीक्षा दे सकते हैं - पूरा विचार स्थानीय डोमिसाइल का है।"

मूल याचिकाकर्ताओं की ओर से हाईकोर्ट में उपस्थित सीनियर एडवोकेट डॉ. एस. मुरलीधर ने तर्क दिया कि स्थानीय कोटा मानदंड निर्धारित करने वाले राज्य के समान सरकारी आदेश को हाईकोर्ट ने अगस्त 2023 में खारिज कर दिया था।

उन्होंने कहा कि जब याचिकाकर्ता 26 जुलाई को अपने NEET परिणाम जारी होने का इंतजार कर रहे थे, तब सरकार ने 19 जुलाई को विवादित सरकारी आदेश पेश किया।

"स्टूडेंट को यह भी नहीं पता कि उन्हें इस तरह की परेशानी का सामना करना पड़ेगा!"

अब मामले की सुनवाई अक्टूबर में होगी।

केस टाइटल: तेलंगाना राज्य और अन्य बनाम कल्लूरी नागा नरसिंह अभिराम और अन्य एसएलपी (सी) नंबर 21536-21588/2024

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