सुप्रीम कोर्ट ने सेल डीड तैयार करने के मामले में यूपी गैंगस्टर एक्ट के तहत वकील की गिरफ्तारी पर लगाई रोक
सुप्रीम कोर्ट ने एडवोकेट संदीप कुमार को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत दी। संदीप कुमार पर उत्तर प्रदेश गुंडा एवं असामाजिक क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम, 1986 (Uttar Pradesh Gangsters and Anti-Social Activities (Prevention) Act, 1986) के तहत कार्रवाई की गई थी। उन पर यह कार्रवाई केवल इस आधार पर कि उन्होंने कुछ सेल डीड (Sale Deeds) के लेखन में मदद की थी।
इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2 अगस्त, 2024 के आदेश को चुनौती देते हुए विशेष अनुमति याचिका (Special Leave Petition) दाखिल की गई थी, जिसमें हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के खिलाफ 1986 अधिनियम की धारा 2 और 3 के अंतर्गत दर्ज FIR रद्द करने से इनकार कर दिया था।
जस्टिस उज्ज्वल भुयान और जस्टिस मनमोहन की खंडपीठ के समक्ष एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड अनुराग ओझा ने प्रस्तुत किया कि याचिकाकर्ता प्रैक्टिसिंग वकील हैं। उन्होंने केवल अपने पेशेवर कर्तव्यों के तहत दस्तावेज़ों के निष्पादन में सहायता प्रदान की थी।
दो FIR उनके खिलाफ दर्ज हैं, जिनके आधार पर 1986 अधिनियम के तहत गैंग चार्ट तैयार किया गया। लेकिन दोनों ही मामलों में हाईकोर्ट ने या तो कार्रवाई पर रोक लगाई है या गिरफ्तारी से सुरक्षा दी है।
उन्होंने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता को मशीनी ढंग से इस अधिनियम के तहत फंसाया गया है।
कोई टिप्पणी किए बिना सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया,
"याचिकाकर्ता पेशेवर वकील हैं और उन्होंने केवल दो सेल डीड के निष्पादन में भूमिका निभाई थी। ऐसी कोई परिस्थिति नहीं बनती, जिससे उनके खिलाफ उत्तर प्रदेश गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई हो। नोटिस जारी करें। साथ ही इस बीच यदि याचिकाकर्ता जांच में सहयोग करता है तो उसे गिरफ्तार नहीं किया जाएगा। मामले को अगस्त के अंतिम सप्ताह में सूचीबद्ध किया जाए।"
इस मामले में उठाया गया मुख्य प्रश्न यह है कि क्या किसी वकील से परामर्श लेने या दस्तावेज़ तैयार करवाने मात्र से उसके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई शुरू की जा सकती है?
टाइटल: संदीप कुमार बनाम राज्य उत्तर प्रदेश, डायर्री नंबर: 32275/2025.