हतोत्साहित करने वाला: सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु ADGP जयराम के निलंबन पर उठाए सवाल, हाईकोर्ट के गिरफ्तारी आदेश को बताया चौंकाने वाला
सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से यह सवाल किया कि अपहरण के मामले में कथित संलिप्तता को लेकर अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (ADGP) एच.एम. जयराम को निलंबित करना क्यों आवश्यक था।
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस उज्जल भुइयां और जस्टिस मनमोहन की खंडपीठ ने यह टिप्पणी की, जब वह जयराम द्वारा दायर उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें मद्रास हाईकोर्ट द्वारा उनकी गिरफ्तारी के निर्देश को चुनौती दी गई थी।
खंडपीठ ने राज्य सरकार से पूछा कि जब जयराम जांच में सहयोग कर रहे हैं तो फिर उन्हें निलंबित करने की क्या आवश्यकता थी।
याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि जयराम को 16 जून को गिरफ्तार किया गया और उन्हें 17 जून शाम 5 बजे सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद रिहा कर दिया गया। लेकिन इसके बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया।
वकील ने यह भी कहा कि हाईकोर्ट ने यह गिरफ्तारी का आदेश उस याचिका में दिया था, जिसमें जयराम पार्टी ही नहीं थे।
राज्य सरकार के वकील ने हालांकि दावा किया कि याचिकाकर्ता को गिरफ्तार नहीं किया गया बल्कि उन्होंने स्वयं जांच में शामिल होने के लिए सहयोग किया।
जस्टिस भुइयां ने राज्य के वकील से कहा,
"आप ऐसा नहीं कर सकते। यह बहुत हतोत्साहित करने वाला है।"
जस्टिस मनमोहन ने कहा कि याचिकाकर्ता एक 28 वर्षों के अनुभव वाले सीनियर पुलिस अधिकारी हैं।
जब राज्य सरकार ने कहा कि उनकी एकमात्र चिंता यह है कि अधिकारी जांच में सहयोग करें तो कोर्ट ने कहा कि जब उन्होंने सहयोग किया तो फिर निलंबन क्यों?
जस्टिस भुइयां ने कहा,
"आप निलंबन आदेश वापस लेने पर निर्देश प्राप्त करें वह एक सीनियर पुलिस अधिकारी हैं।”
हाईकोर्ट द्वारा गिरफ्तारी के निर्देश पर भी सुप्रीम कोर्ट ने नाराज़गी जताई।
जस्टिस भुइयां ने कहा,
"इस प्रकार के आदेश... यह वास्तव में चौंकाने वाला है।"
जस्टिस मनमोहन ने मज़ाक में कहा,
"मैं 18 साल से जज हूं, मुझे कभी नहीं पता था कि मुझे किसी को गिरफ्तार करने का यह अधिकार है।"
खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 19 जून की तारीख तय की और राज्य सरकार से जयराम के निलंबन को वापस लेने पर निर्देश प्राप्त करने को कहा।
मामला
यह आदेश मद्रास हाईकोर्ट द्वारा KV कुप्पम के विधायक "पूवाई" जगन मूर्ति द्वारा दायर अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया था।
मामला एक महिला लक्ष्मी की शिकायत पर आधारित है, जिनका बड़ा बेटा बिना लड़की के परिवार की अनुमति के शादी कर चुका था। इसके बाद लड़की के परिवार के कुछ लोग कथित तौर पर उनके घर में घुसे और जब उन्हें बेटा नहीं मिला तो उनके 18 वर्षीय छोटे बेटे का अपहरण कर लिया गया।
लक्ष्मी का आरोप है कि बाद में उनका बेटा घायल अवस्था में एक होटल के पास छोड़ दिया गया और यह भी दावा किया गया कि उसे ADGP के आधिकारिक वाहन में छोड़ा गया। साथ ही विधायक पर साजिश में शामिल होने का आरोप भी लगा।
हाईकोर्ट के जस्टिस पी. वेलमुरुगन ने पुलिस को निर्देश दिया कि ADGP के खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई की जाए।
अदालत ने कहा कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है और एक मजबूत संदेश जनता तक पहुंचना चाहिए।
टाइटल: एच.एम. जयराम बनाम इंस्पेक्टर ऑफ पुलिस व अन्य | डायरी नं. 33224-2025