हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग द्वारा 2022 अधिसूचना रद्द करने के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई, अधिसूचना में स्थानीय लोगों को 5% अतिरिक्त अंक देने का प्रावधान

Update: 2024-06-20 06:02 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (SSC) द्वारा 2022 अधिसूचना रद्द करने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई 24 जून तक टाल दी। इस अधिसूचना में हरियाणा के निवासियों को "सामाजिक-आर्थिक" मानदंडों के आधार पर कुछ पदों पर भर्ती में 5% अतिरिक्त अंक दिए गए।

जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस एसवीएन भट्टी की वेकेशन बेंच हरियाणा एसएससी द्वारा 31 मई को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा पारित फैसले को चुनौती देने पर विचार कर रही थी, जिसमें ग्रुप सी और डी पदों पर भर्ती में हरियाणा के निवासियों को अतिरिक्त अंक देने वाली अधिसूचना रद्द कर दिया गया।

इस "सामाजिक-आर्थिक" मानदंड के तहत हरियाणा सरकार द्वारा हरियाणा के निवासियों को अतिरिक्त महत्व दिया गया, यदि: आवेदक के परिवार का कोई भी सदस्य नियमित सरकारी कर्मचारी नहीं है और परिवार की सभी स्रोतों से सकल वार्षिक आय 1.80 लाख रुपये से कम है; - आवेदक (i) विधवा थी, (ii) पहली या दूसरी संतान है तथा उसके पिता की मृत्यु 45 वर्ष की आयु प्राप्त करने से पहले हो गई, (iii) पहली या दूसरी संतान है, तथा उसके पिता की मृत्यु आवेदक के 15 वर्ष की आयु प्राप्त करने से पहले हो गई; आवेदक हरियाणा की "विमुक्त जनजाति" या घुमंतू जनजाति से संबंधित है, जो न तो अनुसूचित जाति है और न ही पिछड़ा वर्ग है।

अंत में, आवेदक को हरियाणा सरकार के अधीन किसी भी विभाग, बोर्ड निगम, कंपनी, सांविधिक निकाय, आयोग आदि में समान या उच्चतर पद पर 6 महीने से अधिक के अनुभव के प्रत्येक वर्ष या उसके भाग के लिए आधा प्रतिशत वेटेज दिया जाना है।

अधिसूचना खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने पाया कि सामाजिक-आर्थिक मानदंडों का लाभ केवल उसी व्यक्ति को दिया जा रहा है, जिसका अधिवास और निवास स्थान हरियाणा है (यह परिवार पहचान पत्र में प्रविष्टियों के अधीन है, जो केवल हरियाणा के निवासियों के लिए उपलब्ध है)।

आगे कहा गया,

"कोई भी राज्य 5% अंकों के लाभ की अनुमति देकर केवल अपने निवासियों को ही रोजगार प्रदान नहीं कर सकता। प्रतिवादियों ने पद के लिए आवेदन करने वाले समान स्थिति वाले उम्मीदवारों के लिए एक कृत्रिम वर्गीकरण बनाया।"

यह टिप्पणी करते हुए कि नियम वास्तविक आंकड़ों के आधार पर बनाए जाने चाहिए, न कि राजनीतिक एजेंडे के आधार पर, हाईकोर्ट ने कॉमन एंट्रेंस टेस्ट रिजल्ट 2023 में बोनस अंक (सामाजिक आर्थिक मानदंडों के आधार पर) दिए जाने को भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 का उल्लंघन माना और निर्देश दिया कि नई चयन प्रक्रिया अपनाई जाए।

टिप्पणी की गई,

"यह न्यायालय पाता है कि प्रतिवादियों द्वारा पेश किए गए सामाजिक आर्थिक मानदंड स्पष्ट रूप से समान स्थिति वाले व्यक्तियों के लिए मनमानी और भेदभाव का कार्य है और किसी भी व्यक्ति को लाभ नहीं दिया जाना चाहिए।"

हाईकोर्ट ने यह भी दोहराया कि संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 के अनुसार राज्य सरकार द्वारा आरक्षण को अपनाया जाना आवश्यक है, जो उक्त राज्य में उपलब्ध किसी विशेष आरक्षित श्रेणी की आवश्यकताओं की सीमा तक सीमित है।

आगे कहा गया,

"जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया, राज्य के लिखित प्रस्तुतीकरण से हमें पता चलता है कि वे भारत के संविधान के प्रावधानों के मूल भाव को समझने में बुरी तरह विफल रहे हैं। एक बार जब अनुच्छेद 15 और 16 तथा निर्देशक सिद्धांतों के तहत प्रावधान निर्धारित कर दिए गए तो वे पूरे भारत में लागू होंगे और राज्य सरकार को सार्वजनिक रोजगार में विशेष आरक्षण लागू करने की अनुमति नहीं दी जा सकती, जहां सभी नागरिक भाग लेने और रोजगार पाने के हकदार हैं।"

हाईकोर्ट के फैसले से व्यथित होकर हरियाणा SSC और अन्य ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील ने आग्रह किया कि मामले में तत्काल सुनवाई की जरूरत है। यह बताते हुए कि याचिकाकर्ताओं द्वारा दो अन्य याचिकाएं दायर की गईं, लेकिन वे सूचीबद्ध नहीं थीं, उन्होंने प्रार्थना की कि सभी मामलों को शुक्रवार को एक साथ सूचीबद्ध किया जाए।

वकील की बात सुनने के बाद जस्टिस नाथ ने टिप्पणी की,

"इसे खारिज किए जाने की संभावना है, [इसलिए] आप इसे जुलाई में लेंगे।"

वेकेशन बेंच ने मामले की तात्कालिकता के बारे में दलीलें सुनने से इनकार करते हुए मामले की सुनवाई 24 जून तक के लिए स्थगित कर दी।

केस टाइटल: हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग एवं अन्य बनाम सुकृति मलिक, एसएलपी (सी) नंबर 13275-13277/2024

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