आयकर विभाग द्वारा अपील दायर करने में 4 साल की देरी पर सुप्रीम कोर्ट हैरान

Update: 2024-01-17 12:00 GMT

हाईकोर्ट के समक्ष वैधानिक अपील दायर करने में आयकर विभाग की ओर से चार साल से अधिक की देरी को गंभीरता से लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने संबंधित अधिकारी से की गई जांच और की गई कार्रवाई के बारे में बताने के लिए हलफनामा मांगा।

जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने कहा,

"...हम निर्देश देते हैं कि संबंधित प्राधिकारी इस न्यायालय के समक्ष हलफनामा दायर करें, जिसमें बताया जाए कि अपील दायर करने में चार साल और सौ दिनों की भारी देरी के संबंध में क्या जांच की गई है, या क्या कार्रवाई की गई।“

आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण द्वारा यह माना गया कि विदेशी दूरसंचार ऑपरेटरों को भुगतान किया गया इंटर-कनेक्शन उपयोग शुल्क न तो 'रॉयल्टी' है और न ही तकनीकी सेवाओं के लिए 'शुल्क' है। आईटीएटी द्वारा पारित आदेश की आलोचना करते हुए आयकर आयुक्त (अंतर्राष्ट्रीय कराधान) ने 1560 दिनों की देरी से दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष अपील दायर की। विभाग की ओर से अपील दायर करते समय हुई देरी की व्याख्या करने में विफल रहने पर हाईकोर्ट ने परिसीमा के आधार पर अपील खारिज कर दी।

हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए विभाग ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष विशेष अनुमति याचिका (सिविल) दायर की।

सुप्रीम कोर्ट ने अपील दायर करते समय हुई भारी देरी का कारण न बताने पर विभाग पर नाराजगी व्यक्त की। कोर्ट ने कहा कि सामान्य आदेश से तीन अन्य अपीलों को भी हाईकोर्ट ने लंबी देरी के आधार पर खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने उन अपीलों से उत्पन्न विशेष अनुमति याचिकाओं को भी खारिज कर दिया।

कोर्ट ने कहा,

चूंकि उन संबंधित एसएलपी को खारिज कर दिया गया, इसलिए वर्तमान एसएलपी का भाग्य भी अलग नहीं हो सकता। हालांकि, केवल एसएलपी खारिज करने के बजाय न्यायालय ने विभाग द्वारा की गई कार्रवाई का पता लगाने के लिए मामले को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया।

जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने कहा,

"लेकिन हमें जो दिलचस्प लगता है, वह यह है कि विभाग ने अधिनियम की धारा 260ए के तहत अपील दायर करने में चार साल से अधिक की देरी के कारणों का पता लगाने के बजाय केवल हाईकोर्ट के आदेश पर मुहर लगाने की मांग की।"

आयकर अधिनियम की धारा 260ए के अनुसार, आईटीएटी के आदेशों के खिलाफ अपील निर्धारिती या राजस्व द्वारा आईटीएटी आदेश प्राप्त होने की तारीख से 120 दिनों की अवधि के भीतर दायर की जानी चाहिए।

न्यायालय ने विभाग को हाईकोर्ट के समक्ष अपील दायर करते समय हुई देरी के बारे में स्पष्टीकरण देने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया।

कोर्ट ने कहा,

“प्रथम दृष्टया इस विशेष अनुमति याचिका(याचिकाओं) का भी वही हश्र हो सकता है, जो हाईकोर्ट द्वारा खारिज किए गए अन्य मामलों के समान है, लेकिन फिर भी इस तरह के आदेश के पारित होने तक हम संबंधित अधिकारी को आज से तीन सप्ताह की अवधि के भीतर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हैं।”

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