राजनीतिक दलों द्वारा प्राप्त Electoral Bond दान को जब्त करें: सुप्रीम कोर्ट में याचिका
2018 की चुनावी बांड (Electoral Bond) योजना के माध्यम से राजनीतिक दलों द्वारा प्राप्त धन की वैधता को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई, जिसे हाल ही में एडीआर बनाम भारत संघ मामले में खारिज कर दिया गया। याचिका में तर्क दिया गया कि ये धनराशि, जिसकी राशि 16,518 करोड़ रुपये है, केवल दान नहीं थे, बल्कि ऐसे लेन-देन थे, जिनमें कथित तौर पर राजनीतिक दलों और कॉर्पोरेट दाताओं के बीच लाभ का आदान-प्रदान किया गया।
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) बनाम भारत संघ मामले में, जिसे चुनावी बांड मामले के रूप में जाना जाता है, सुप्रीम कोर्ट ने सर्वसम्मत निर्णय में चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक और संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) का उल्लंघन करने वाला माना। न्यायालय के निर्णय ने पारदर्शिता और निष्पक्षता के बारे में चिंताओं को उजागर किया और भारतीय स्टेट बैंक को ऐसे बांड जारी करने पर रोक लगाने तथा 12 अप्रैल, 2019 से बांड लेनदेन का सार्वजनिक खुलासा करने का निर्देश दिया। उल्लेखनीय है कि भारत के चुनाव आयोग (ECI) ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का अनुपालन करते हुए 14 मार्च को अपनी वेबसाइट पर चुनावी बांड डेटा अपलोड किया था।
याचिका में बताया गया कि कुल 23 राजनीतिक दलों को 1210 से अधिक दानदाताओं से इन बांडों के माध्यम से लगभग 12,516 करोड़ रुपये प्राप्त हुए, जिनमें से 21 दानदाताओं ने 100 करोड़ रुपये से अधिक का योगदान दिया। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने ये विवरण उपलब्ध कराए हैं, जिससे जनता की कीमत पर दानदाताओं को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए योजना के संभावित दुरुपयोग के बारे में सवाल उठते हैं।
याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया कि वह संघ (प्रतिवादी नंबर 1), ECI (प्रतिवादी नंबर 2) और केंद्रीय सतर्कता आयोग (प्रतिवादी नंबर 3) को संबंधित राजनीतिक दलों द्वारा योजना के तहत प्राप्त राशि को जब्त करने का निर्देश दे। इसके अतिरिक्त, याचिका में प्रमुख राजनीतिक दलों (प्रतिवादी नंबर 4-25) द्वारा दानदाताओं को दिए गए कथित अवैध लाभों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज की अध्यक्षता में समिति के गठन की मांग की गई। वैकल्पिक रूप से यह इन दलों द्वारा दावा किए गए कर छूट का पुनर्मूल्यांकन करने और प्राप्त राशि पर कर ब्याज और दंड लगाने की मांग करता है।
याचिका में निम्नलिखित निर्देश दिए जाने की मांग की गई-
1. चुनावी बॉन्ड योजना, 2018 के तहत प्रतिवादी नंबर 4 से 25 द्वारा प्राप्त राशि को जब्त करने के लिए प्रतिवादी नंबर 1, 2 और 3 को निर्देश देने के लिए उचित रिट, निर्देश या आदेश जारी करें।
2. राजनीतिक दलों के कहने पर सार्वजनिक अधिकारियों द्वारा प्रतिवादी नंबर 4 से 25 द्वारा चुनावी बॉन्ड के माध्यम से प्राप्त भुगतान के कारण दानदाताओं को दिए गए अवैध लाभों की जांच करने के लिए इस माननीय न्यायालय के पूर्व जज की अध्यक्षता में एक समिति का गठन करने के लिए उचित रिट, निर्देश या आदेश जारी करें।
3. वैकल्पिक रूप से तथा उपरोक्त के प्रतिकूल प्रभाव के बिना आयकर अधिकारियों को प्रतिवादी नंबर 4 से 25 के वित्तीय वर्ष 2018-2019 से 2023-2024 तक के कर निर्धारण को पुनः खोलने तथा आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 13ए के अंतर्गत उनके द्वारा दावा किए गए आयकर की छूट को अस्वीकार करने तथा चुनावी बांड के माध्यम से प्राप्त राशि पर आयकर, ब्याज तथा जुर्माना लगाने का निर्देश दिया जाए।
4. ऐसे आदेश पारित किए जाएं, जिन्हें यह माननीय न्यायालय मामले के तथ्यों तथा परिस्थितियों तथा न्याय के हित में उचित तथा उचित समझे।
यह याचिका एओआर जयेश के उन्नीकृष्णन की सहायता से दायर की गई और इसे सीनियर एडवोकेट विजय हंसारिया तथा अधिवक्ता काव्या झावर और नंदिनी राज ने तैयार किया।
गौरतलब है कि एडीआर द्वारा सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका पहले ही दायर की जा चुकी है, जिसमें चुनावी बांड दान के माध्यम से निगमों और राजनीतिक दलों के बीच कथित तौर पर लेन-देन की व्यवस्था की जांच के लिए एक विशेष जांच दल के गठन की मांग की गई।
केस टाइटल: डॉ. खेम सिंह भाटी बनाम भारत संघ