सुप्रीम कोर्ट ने कानूनों के पूर्वव्यापी अनुप्रयोग के सिद्धांतों का सारांश प्रस्तुत किया
हाल ही में दिए गए एक निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने कानूनों के पूर्वव्यापी अनुप्रयोग के सिद्धांतों का सारांश प्रस्तुत किया।
जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की खंडपीठ ने यह विचार-विमर्श करते हुए कहा कि SARFAESI Act की धारा 13(8) में 2016 का संशोधन, संशोधन लागू होने से पहले लिए गए ऋणों पर लागू होगा, यदि चूक संशोधन के बाद हुई हो।
खंडपीठ ने सिद्धांतों का सारांश इस प्रकार प्रस्तुत किया:
(i) पूर्वव्यापी प्रभाव के विरुद्ध उपधारणा उन अधिनियमों पर लागू नहीं होती, जो केवल प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं या मंच बदलते हैं या घोषणात्मक हैं।
(ii) पूर्वव्यापी प्रभाव किसी प्रावधान में उस संदर्भ में निहित हो सकता है जहाँ वह घटित होता है।
(iii) संदर्भ को देखते हुए किसी प्रावधान को ऐसे प्रावधान के लागू होने के बाद वाद हेतुक पर लागू माना जा सकता है, भले ही जिस दावे पर वाद आधारित हो, वह पूर्ववर्ती तिथि का हो।
(iv) एक उपचारात्मक क़ानून लंबित कार्यवाहियों पर लागू होता है। यदि आवेदन किसी लंबित वाद हेतुक के संदर्भ में भविष्य में किया जाना है तो ऐसे आवेदन को पूर्वव्यापी नहीं माना जा सकता है।
(v) SARFAESI Act एक उपचारात्मक क़ानून है, जिसका उद्देश्य पूर्व-विद्यमान ऋण लेनदेन की समस्या से निपटना है, जिसकी शीघ्र वसूली आवश्यक है।
Cause Title: M. RAJENDRAN & ORS. VERSUS M/S KPK OILS AND PROTIENS INDIA PVT. LTD. & ORS.