सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में सभी बार एसोसिएशनों के लिए 'एक दिन में चुनाव' कराने के हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई
सुप्रीम कोर्ट ने 9 सितंबर को दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगाई, जिसमें कहा गया कि राष्ट्रीय राजधानी में सभी बार एसोसिएशनों की कार्यकारी समिति के चुनाव दो साल की समान अवधि के लिए एक ही दिन एक साथ कराए जाएंगे।
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की खंडपीठ दिल्ली हाईकोर्ट की फुल बेंच द्वारा 19 मार्च को दिए गए फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें राष्ट्रीय राजधानी में सभी बार एसोसिएशनों के लिए 'एक बार एक वोट' के रूप में एक ही दिन में एक समान चुनाव कराने के मुद्दे से संबंधित कई याचिकाओं का निपटारा किया गया था।
यह याचिका कार्यकारी समिति के अध्यक्ष एडवोकेट डीके शर्मा और दिल्ली बार काउंसिल के अन्य सदस्यों द्वारा दायर की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले में अनुमति देते हुए विवादित आदेश पर रोक लगाने का निर्देश दिया, लेकिन स्पष्ट किया कि वर्तमान मामले की लंबित अपील किसी भी एडवोकेट निकाय के चुनाव को बाधित नहीं करेगी।
कोर्ट ने कहा,
"अगले आदेश तक हाईकोर्ट द्वारा पारित विवादित आदेशों पर रोक रहेगी। यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि वर्तमान अपीलों के लंबित रहने से किसी भी निकाय के चुनाव पर रोक नहीं लगेगी।"
दिल्ली हाईकोर्ट का निर्णय
एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन, जस्टिस राजीव शकधर और जस्टिस सुरेश कुमार कैत की फुल बेंच ने कहा कि चूंकि अधिकांश बार एसोसिएशन का ऑफिस इस वर्ष सितंबर में समाप्त हो जाएगा, इसलिए 2024 के सभी चुनाव 19 अक्टूबर को एक ही दिन में कराना उचित होगा।
यह देखा गया कि सभी जिला कोर्ट बार एसोसिएशन, दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन और दिल्ली में ट्रिब्यूनल्स से जुड़े सभी बार एसोसिएशन इस बात पर सहमत थे कि उनकी कार्यकारी समितियों के चुनाव अब एक साथ होने चाहिए।
हाईकोर्ट ने कहा,
"सभी बार एसोसिएशनों के एक दिन के चुनाव से अन्य बार एसोसिएशनों के सदस्यों के हस्तक्षेप से बचा जा सकेगा। साथ ही अन्य बार एसोसिएशनों के लिए चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार के समर्थकों द्वारा भीड़भाड़ से भी बचा जा सकेगा। दो वर्ष की निर्धारित अवधि संबंधित बार एसोसिएशनों को अपने सदस्यों के कल्याण के लिए प्रभावी ढंग से काम करने में सक्षम बनाएगी और विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने के लिए पर्याप्त समय देगी।"
इसमें कहा गया कि इस तरह के निर्णय से विभिन्न बार एसोसिएशनों में चुनाव के आयोजन से पहले और बाद में होने वाले मुकदमों की बहुलता और चुनावी कदाचार पर रोक लगेगी। न्यायिक समय की भी बचत होगी, क्योंकि न्यायिक कार्य में बार-बार व्यवधान नहीं होगा।
इसमें आगे कहा गया कि देश भर में सभी बार एसोसिएशनों के सभी सदस्यों के लिए पहचान पत्र या निकटता कार्ड तैयार करना और जारी करना अनिवार्य है, क्योंकि इससे न केवल कोर्ट कॉम्प्लेक्स में प्रवेश के संबंध में सुरक्षा संबंधी चिंताओं का समाधान होगा बल्कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव भी सुनिश्चित होंगे।
न्यायालय ने कहा,
"सभी वकीलों के लिए उचित पहचान पत्र/निकटता कार्ड और आरएफआईडी तैयार करने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही सभी बार एसोसिएशनों के लिए एक ही दिन में एक समान चुनाव आयोजित किए जाने चाहिए, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से आयोजित किए जाएं।"
न्यायालय ने अपनी रजिस्ट्री को छह महीने के भीतर बार एसोसिएशनों के सभी सदस्यों को पहचान पत्र या निकटता कार्ड और आरएफआईडी जारी करने का निर्देश देते हुए कहा।
चुनावों में शुचिता सुनिश्चित करने और धनबल का उपयोग न करने के लिए न्यायालय ने संभावित उम्मीदवारों को अपने चुनावी संभावनाओं को आगे बढ़ाने के लिए होर्डिंग लगाने, पोस्टर चिपकाने या पार्टियों की मेजबानी न करने पर रोक लगाई।
न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि किसी भी बार एसोसिएशन या निकाय, जैसे कि बार काउंसिल ऑफ दिल्ली या बार काउंसिल ऑफ इंडिया का कोई भी सदस्य दो अलग-अलग बार एसोसिएशन या निकायों में एक साथ चुनाव नहीं लड़ेगा या पद धारण नहीं करेगा।
इसके अतिरिक्त, यह माना गया कि यदि मौजूदा बार एसोसिएशन निर्धारित तिथि तक चुनाव प्रक्रिया शुरू नहीं करता है तो उक्त कार्य को दो पूर्व अध्यक्षों और दो सचिवों के साथ-साथ संबंधित जिला जज द्वारा नामित वकील की समिति को सौंपा गया माना जाएगा। या न्यायाधिकरण के रजिस्ट्रार या हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल, जैसा भी मामला हो।
केस टाइटल: डी.के. शर्मा एवं अन्य बनाम दिल्ली बार काउंसिल एवं अन्य विशेष अपील अनुमति (सी) संख्या 19941-19942/2024