S.138 NI Act | सुप्रीम कोर्ट ने शिकायत में उल्लिखित चेक तिथि में संशोधन की अनुमति देने वाला हाईकोर्ट का फैसला रद्द किया

Update: 2024-05-02 06:38 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में हाईकोर्ट का फैसला रद्द कर दिया, जिसने चेक डिसऑनर मामले में शिकायतकर्ता को शिकायत में उल्लिखित चेक की तारीख में संशोधन करने की अनुमति दी थी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि साक्ष्य का चरण समाप्त होने के बाद संशोधन आवेदन दायर किया गया। इधर शिकायत में चेक की तारीख 22.07.2010 बताई गई। चेक डिसऑनर के बाद जारी किए गए कानूनी नोटिस में भी यही तारीख अंकित थी। साथ ही साक्ष्य में भी यही तारीख बताई गई।

हालांकि, साक्ष्य चरण के बाद शिकायतकर्ता ने शिकायत में उल्लिखित चेक की तारीख 22.07.2010 के बजाय 22.07.2012 करने के लिए संशोधन आवेदन दायर किया। आवेदन में साक्ष्य में उल्लिखित चेक की तारीख बदलने की भी मांग की गई। हालांकि ट्रायल कोर्ट ने आवेदन खारिज कर दिया, लेकिन हाईकोर्ट ने इसे यह कहते हुए अनुमति दे दी कि टाइपिंग में गलतियां संभव हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के दृष्टिकोण को अस्वीकार करते हुए कहा कि शिकायत से पहले जारी किए गए कानूनी नोटिस में 22.07.2010 की तारीख का भी उल्लेख किया गया।

कोर्ट ने कहा,

"वास्तव में हाईकोर्ट ने इस तथ्य को नजरअंदाज किया कि दस्तावेजों में भी उक्त तारीख शामिल है और दर्ज किए गए साक्ष्य भी उसी प्रभाव के हैं।"

जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस संजय कुमार की खंडपीठ ने कहा,

"वर्तमान प्रकृति के मामले में, जहां तारीख एक प्रासंगिक पहलू है, जिसके आधार पर परक्राम्य लिखत अधिनियम, 1881 के तहत प्रदान की गई समय-सीमा के भीतर नोटिस जारी करने से संबंधित संपूर्ण पहलू है, यह भी कि क्या चेक जारीकर्ता के खाते में पर्याप्त शेष राशि होने की तारीख पर सवाल उठाया जाएगा, वर्तमान परिस्थिति में संशोधन, जैसा कि मांगा गया, उचित नहीं है।''

केस टाइटल: मुनीश कुमार गुप्ता बनाम मेसर्स मित्तल ट्रेडिंग कंपनी

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