न्यायिक आदेश का उल्लंघन करने वाले मामले को सूचीबद्ध नहीं करने पर सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्ट्री को फटकार लगाई

Update: 2024-01-20 09:43 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में मामलों को नियमित सूची में सूचीबद्ध करने के संबंध में न्यायिक आदेश का उल्लंघन करने के लिए रजिस्ट्री स्टाफ के सदस्यों पर नाराजगी व्यक्त की।

जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस उज्जल भुइयां की खंडपीठ ने कहा कि 22 नवंबर, 2023 को विषय मामलों को 07 दिसंबर, 2023 (गुरुवार) को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया गया। हालांकि, उन्हें 08 दिसंबर को सूचीबद्ध किया गया, जब सीनियर एडवोकेट डीएन गोबरधुन ने बताया कि मामलों को एक दिन पहले सूचीबद्ध किया जाना चाहिए था।

त्रुटि को ध्यान में रखते हुए अदालत ने रजिस्ट्रार (न्यायिक सूची) से रिपोर्ट मांगी, जिससे यह बताया जा सके कि मामलों को निर्देशानुसार सूचीबद्ध क्यों नहीं किया गया।

रजिस्ट्रार की रिपोर्ट के अनुसार, संबंधित अधिकारी ने 08 दिसंबर को मामले को सूचीबद्ध करते समय अदालत के 14 फरवरी, 2023 के सर्कुलर पर भरोसा किया।

उक्त सर्कुलर में कहा गया:

"...अब से सप्ताह के बुधवार और गुरुवार नियमित सुनवाई के दिन होंगे और इन दोनों दिनों में कोई भी "नोटिस के बाद विविध मामला" सूचीबद्ध नहीं किया जाएगा।"

जस्टिस ओक और जस्टिस भुइयां की बेंच ने कहा कि मौजूदा मामलों में मुख्य मामला सिविल अपील है, जिसे सर्कुलर के संदर्भ में भी सूचीबद्ध किया जाना चाहिए था।

अदालत ने कहा,

"...चिंताजनक बात यह है कि स्टाफ के कुछ सदस्यों ने 7 दिसंबर, 2023 को संबंधित मामलों के साथ सिविल अपील को नियमित सूची में सूचीबद्ध करने का न्यायिक आदेश नजरअंदाज कर दिया।"

हालांकि, रिपोर्ट के मद्देनजर कोई कार्रवाई करने का निर्देश नहीं दिया गया।

आदेश में कहा गया,

"हालांकि हम कोई कार्रवाई शुरू करने के इच्छुक नहीं हैं, लेकिन चिंता की बात यह है कि स्टाफ के कुछ सदस्यों ने 7 दिसंबर, 2023 को संबंधित मामलों के साथ सिविल अपील को नियमित सूची में सूचीबद्ध करने के न्यायिक आदेश को नजरअंदाज कर दिया। हमें आश्चर्य है इस तरह न्यायिक आदेश का उल्लंघन कैसे हो सकता है।'

प्रतिनिधित्व: डीएन गोबरधुन, वी मोहना और आर बाला; एओआर डॉ. एन विसाकामूर्ति और आलोक गुप्ता; सचिन शर्मा, पीवी योगेशश्वरन, विनायक शर्मा, और डॉ. अरुण कुमार यादव, आगा।

केस टाइटल: कमांडर एन राजेश कुमार बनाम भारत संघ एवं अन्य, सिविल अपील नंबर 4866/2015 (और संबंधित मामले)

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