सुप्रीम कोर्ट ने UGC-NET 2024 परीक्षा रद्द करने को चुनौती देने वाली वकील की जनहित याचिका खारिज की
सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका (पीआईएल) पर विचार करने से इनकार किया, जिसमें कथित पेपर लीक के कारण यूनिवर्सिटी अनुदान आयोग राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (UGC-NET) परीक्षा रद्द करने के राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) के फैसले को चुनौती दी गई।
यह जनहित याचिका लॉ ग्रेजुएट ने दायर की, जिसने NTA के फैसले को पलटने के लिए निर्देश मांगे थे। हालांकि, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) ने बताया कि याचिकाकर्ता का इस मामले में कोई अधिकार नहीं है। प्रभावित स्टूडेंट के लिए खुद ही कोर्ट का दरवाजा खटखटाना जरूरी होगा।
संक्षिप्त सुनवाई के दौरान, सीजेआई ने कहा,
"आप क्यों चिंतित हैं? आपका अधिकार क्षेत्र क्या है? कोई व्यक्ति जो बार का सदस्य है, वह जनहित याचिका दायर करता है। अपना समय कुछ महत्वपूर्ण कानूनी मामलों में लगाइए, न कि केवल अखबार में पढ़ी गई किसी बात पर और जनहित याचिका दायर कर दीजिए। उन्हें (स्टूडेंट को) यहां आने दीजिए, हम इस पर विचार करेंगे।"
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने अंततः जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इनकार किया। ऐसा करते हुए अदालत ने यह स्पष्ट किया कि वह मामले के गुण-दोष पर कोई राय व्यक्त नहीं कर रही है।
पीठ ने कहा,
"उपर्युक्त जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए हम स्पष्ट करते हैं कि हमने गुण-दोष पर कुछ भी व्यक्त नहीं किया।"
उल्लेखनीय है कि UGC-NET 2024 परीक्षा 18 जून को हुई थी जिसमें 9 लाख से अधिक उम्मीदवार शामिल हुए थे। शिक्षा मंत्रालय ने 19 जून को परीक्षा रद्द करने की घोषणा की, क्योंकि गृह मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय साइबर अपराध खतरा विश्लेषण इकाई द्वारा परीक्षा की 'समझौतापूर्ण अखंडता' के प्रथम दृष्टया संकेतक चिह्नित किए गए। मामले को आगे की जांच के लिए सीबीआई को सौंप दिया गया।
केंद्र सरकार ने यह भी घोषणा की कि नई परीक्षा के विवरण जल्द ही जारी किए जाएंगे। गौरतलब है कि उक्त निर्णय तब आया जब सुप्रीम कोर्ट पहले से ही NEET-UG 2024 परीक्षाओं और कथित पेपर लीक को चुनौती देने पर विचार कर रहा था।
सुप्रीम कोर्ट ने 23 जुलाई को पेपर लीक और कदाचार के आधार पर NEET-UG 2024 परीक्षा रद्द करने से इनकार किया। न्यायालय ने कहा कि ऐसा कोई संकेत नहीं था कि लीक प्रणालीगत था, जो पूरी परीक्षा की पवित्रता को प्रभावित कर रहा था।
केस टाइटल: उज्ज्वल गौर बनाम शिक्षा मंत्रालय और अन्य। डब्ल्यू.पी.(सी) संख्या 467/2024