सुप्रीम कोर्ट का SCBA मल्टी-स्टेट कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी के चुनावों पर रोक लगाने से इनकार

Update: 2024-01-18 05:07 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (17 जनवरी) को सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) मल्टी-स्टेट कोऑपरेटिव ग्रुप-हाउसिंग सोसाइटी लिमिटेड के 18 जनवरी, 2024 को होने वाले चुनावों पर रोक लगाने से इनकार किया।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ नेयाचिकाकर्ता के वकील द्वारा याचिका का मौखिक रूप से उल्लेख किए जाने के बाद मामले की तत्काल सुनवाई की।

याचिकाकर्ता ने 16 जनवरी के दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी, जिसने SCBA मल्टी-स्टेट कोऑपरेटिव ग्रुप-हाउसिंग सोसाइटी के अयोग्य सदस्यों को हाउसिंग सोसाइटी चुनाव लड़ने की अनुमति दी।

वकील ने प्रस्तुत किया,

“यदि 15 बोर्ड निदेशकों को (बहु-राज्य सहकारी सोसायटी अधिनियम, 2002 ('2002 का अधिनियम') धारा 43(2) के अनुसार अयोग्य घोषित कर दिया गया। चुनावों को चुनौती दी जाएगी... वे बेदाग नहीं निकल सकते, क्योंकि उन्होंने कोई जीबीएम आयोजित नहीं किया, उन्होंने कोई वार्षिक रिटर्न दाखिल नहीं किया, कोई वित्तीय विवरण दाखिल नहीं किया गया। इसलिए सोसायटी का पूर्ण कुप्रबंधन हुआ है…”

सीजेआई ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश का जिक्र करते हुए टिप्पणी की,

“हम इस समय चुनाव नहीं रोक सकते। चुनाव के इन मामलों में अदालतों का तय नियम है कि अधिसूचना के बाद वे हस्तक्षेप नहीं करतीं। हाईकोर्ट ने यही कहा है।''

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि केंद्रीय रजिस्ट्रार का आदेश 2002 अधिनियम के वैधानिक प्रावधानों के तहत है, हाईकोर्ट के समक्ष उपस्थित होने और इसके विपरीत प्रस्तुत करने में रिटर्निंग अधिकारी की कार्रवाई वैधानिक आदेशों को दरकिनार कर देती है।

वकील ने व्यक्त किया,

"अगर चुनाव एक सप्ताह के लिए स्थगित नहीं किए गए तो आसमान नहीं गिर जाएगा"।

जस्टिस जेबी पारदीवाला ने पूछा कि जब व्यक्ति अयोग्य घोषित कर दिया जाता है तो उसका क्या उपाय है।

वकील ने जवाब दिया कि उपाय 2002 अधिनियम की धारा 84 के तहत है, जो विवादों के संदर्भ का प्रावधान करता है।

हालांकि पीठ ने चुनावों पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। नोटिस जारी करने पर सहमति व्यक्त की और निर्देश दिया कि "चुनाव के अनुसरण में उठाए गए सभी कदम कार्यवाही के अंतिम परिणाम के अधीन होंगे और आगे के आदेशों के अधीन होंगे जैसा कि इस अदालत द्वारा पारित किया जा सकता है।"

अब इस मामले की सुनवाई अगले सोमवार को होगी।

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