सुप्रीम कोर्ट का औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदलकर छत्रपति संभाजीनगर और धाराशिव करने के मामले में हस्तक्षेप से इनकार

Update: 2024-08-02 09:00 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार की अधिसूचनाओं को बरकरार रखने वाले बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर विशेष अनुमति याचिका खारिज की। उक्त याचिका में औरंगाबाद और उस्मानाबाद शहरों का नाम बदलकर क्रमशः छत्रपति संभाजीनगर और धाराशिव करने की बात कही गई थी।

जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस एस.वी.एन. भट्टी की बेंच ने विवादित आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार किया।

औरंगाबाद और उस्मानाबाद शहरों के साथ-साथ राजस्व क्षेत्रों (जिला, उप-मंडल, तालुका, गांव) का नाम बदलने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट के समक्ष कई याचिकाएं दायर की गई थीं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 24 फरवरी, 2023 को औरंगाबाद का नाम बदलने को मंजूरी दी, जबकि उस्मानाबाद के लिए 7 फरवरी, 2023 को ही मंजूरी दे दी गई।

राज्य सरकार ने 24 फरवरी, 2023 को दो अधिसूचनाओं के माध्यम से शहरों के बदले हुए नामों को औपचारिक रूप से अधिसूचित किया। हालांकि उस समय संबंधित राजस्व क्षेत्रों का नाम बदलने की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई। राज्य सरकार ने उसी दिन एक मसौदा अधिसूचना भी प्रकाशित की, जिसमें औरंगाबाद और उस्मानाबाद के राजस्व क्षेत्रों का नाम बदलने पर आम जनता से आपत्तियां मांगी गईं।

हाईकोर्ट ने 30 अगस्त, 2023 को राजस्व क्षेत्रों के प्रस्तावित नाम बदलने को चुनौती देने वाली याचिकाओं के बैच का निपटारा कर दिया, क्योंकि नए नामों को औपचारिक रूप से अधिसूचित नहीं किया गया था। साथ ही शहरों के नए नामों को चुनौती देने का मामला भी बरकरार रहा।

औरंगाबाद और उस्मानाबाद राजस्व क्षेत्रों का नाम बदलने की औपचारिक अधिसूचना दो सप्ताह बाद 15 सितंबर, 2023 को जारी की गई। इसके बाद राजस्व क्षेत्रों के नए नामों को चुनौती देते हुए नई याचिकाएं दायर की गईं।

याचिका में कहा गया कि नाम बदलने का उद्देश्य राजनीतिक है और इससे धार्मिक मतभेद को बढ़ावा मिलता है। औरंगाबाद के नाम बदलने को चुनौती देने वाली याचिका में याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र में उन सभी शहरों के नाम बदलने का अभियान चल रहा है, जिनका नाम मुस्लिम है।

हालांकि, महाराष्ट्र सरकार ने इस दलील को खारिज कर दिया और कहा कि पूरे राज्य में उच्च सम्मान वाली शख्सियत (छत्रपति संभाजीनगर के मामले में) के नाम पर शहर का नाम रखने का कोई धार्मिक अर्थ नहीं है।

हालांकि, हाईकोर्ट ने चुनौती दी गई अधिसूचना में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए कहा कि इसमें कोई अवैधता या कोई अन्य कानूनी दोष नहीं है।

कोर्ट ने कहा,

“चर्चा और दिए गए कारणों के मद्देनजर, हमें यह निष्कर्ष निकालने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि औरंगाबाद और उस्मानाबाद शहरों का नाम बदलकर छत्रपति संभाजीनगर और धाराशिव शहर करने तथा औरंगाबाद और उस्मानाबाद के राजस्व क्षेत्रों का नाम बदलकर छत्रपति संभाजीनगर और धाराशिव करने संबंधी राज्य सरकार द्वारा जारी की गई विवादित अधिसूचना में कोई अवैधता या कोई अन्य कानूनी दोष नहीं है। इसलिए विवादित अधिसूचना में किसी तरह का हस्तक्षेप उचित नहीं है। याचिकाओं में कोई दम नहीं होने के कारण उन्हें खारिज किया जाता है। कोई खर्च नहीं।”

इस आदेश के खिलाफ, याचिकाकर्ताओं ने विवादित आदेश रद्द करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने विवादित आदेश पर रोक लगाने की भी प्रार्थना की थी।

वर्तमान याचिका एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड पुलकित अग्रवाल के माध्यम से दायर की गई।

केस टाइटल: शेख मसूद इस्माइल शेख और अन्य बनाम यूओआई, एसएलपी (सी) संख्या 15453/2024

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