लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए AAP विधायक जसवंत सिंह को सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली जमानत

Update: 2024-05-29 09:42 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (29 मई) को पंजाब के AAP विधायक जसवंत सिंह को लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए एकतरफा अंतरिम जमानत देने से इनकार किया।

जस्टिस संजय करोल और अरविंद कुमार की अवकाश पीठ ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती देने वाली AAP विधायक की याचिका पर सुनवाई की, जिसमें ED द्वारा उनकी गिरफ्तारी को बरकरार रखा गया था। यह गिरफ्तारी मेसर्स टीसीएल नामक कंपनी के निदेशक और गारंटर होने के आरोप में की गई थी। इस कंपनी ने 46 करोड़ रुपये से अधिक का ऋण और ऋण सुविधाएं प्राप्त की थीं।

आरोप है कि यह राशि ऋण सुविधाएं प्रदान करने की शर्तों के विपरीत अन्य कंपनियों में स्थानांतरित कर दी गई। बताया जाता है कि 3.12 करोड़ रुपये की राशि आप नेता के निजी खाते में स्थानांतरित कर दी गई।

सिंह की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट विक्रम चौधरी ने लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सिंह के लिए 4 जून तक एकतरफा अंतरिम जमानत मांगी, जहां 1 जून को पंजाब राज्य में 13 लोकसभा क्षेत्रों में मतदान होना है।

अदालत AAP विधायक को अंतरिम जमानत देने के लिए इच्छुक नहीं थी, क्योंकि उसने कहा कि विपरीत पक्षों को सुने बिना ऐसी कोई राहत नहीं दी जा सकती।

हालांकि, प्रतिवादियों/भारत संघ और प्रवर्तन निदेशालय को सप्ताह के भीतर जवाब देने के लिए नोटिस जारी किए गए।

मामले की पृष्ठभूमि

जसवंत सिंह पर PMLA के तहत मामला दर्ज किया गया, क्योंकि वह मेसर्स टीसीएल नामक कंपनी के निदेशक और गारंटर थे, जिसने 46 करोड़ रुपये से अधिक का ऋण और ऋण सुविधाएं प्राप्त की थीं।

आरोप है कि यह राशि ऋण सुविधाएं देने की शर्तों के विपरीत अन्य कंपनियों में स्थानांतरित कर दी गई। बताया जाता है कि 3.12 करोड़ रुपये की राशि आप नेता के निजी खाते में स्थानांतरित कर दी गई।

मेसर्स टीसीएल के अकाउंट को फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर 09.02.2018 को धोखाधड़ी घोषित किया गया। मामले की सूचना RBI को दी गई। याचिकाकर्ता को कई मौकों पर जांच में शामिल होने के लिए समन जारी किया गया, लेकिन वह जांच एजेंसी के सामने पेश नहीं हुआ। सिंह को नवंबर, 2023 में ED ने गिरफ्तार किया।

ED द्वारा अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए सिंह ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट का रुख किया, जहां उन्होंने तर्क दिया कि उनके खिलाफ कब्जे में मौजूद सामग्री, जिसमें गिरफ्तारी का ज्ञापन और गिरफ्तारी के आधार शामिल हैं, गिरफ्तारी के दो दिन बाद न्यायाधिकरण को भेजी गई, जबकि इसे तुरंत भेजा जाना चाहिए था।

सिंह की याचिका खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि PMLA की धारा 19 (2) के तहत यह कहीं भी निर्दिष्ट नहीं है कि सामग्री गिरफ्तारी के दिन भेजी जानी चाहिए, क्योंकि इस्तेमाल किया गया शब्द "गिरफ्तारी के तुरंत बाद" है।

हाईकोर्ट ने कहा,

यह निर्दिष्ट नहीं है कि सूचना गिरफ्तारी के दिन ही भेजी जानी चाहिए। इसलिए हमें एक दिन बाद न्यायाधिकरण को सूचना भेजे जाने में कोई अवैधता नहीं लगती। भले ही इसे 02 दिन बाद भेजा गया हो, लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि PMLA Act की धारा 19(2) के प्रावधानों का अनुपालन नहीं किया गया है।"

केस टाइटल: जसवंत सिंह बनाम भारत संघ और अन्य, एसएलपी (सीआरएल) संख्या 7755/2024

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