सुप्रीम कोर्ट ने HRCEA को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से किया इनकार

Update: 2024-07-20 05:12 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती अधिनियम 1959 (Tamil Nadu Hindu Religious and Charitable Endowments Act of 1959 (HRCEA)) को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार किया। कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट जाने की छूट दी।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को हाईकोर्ट जाना चाहिए।

सीजेआई ने कहा कि हाईकोर्ट ऐसे मामलों की सुनवाई करने में सक्षम है। उन्होंने सुझाव दिया कि याचिकाकर्ता अपना मामला वहीं दायर करें।

सीजेआई ने कहा,

"आप सुप्रीम कोर्ट क्यों आए हैं, हाईकोर्ट क्यों नहीं गए। हाईकोर्ट इन मामलों की सुनवाई करने में सक्षम है। हमने जजों की बात सुनी है, वकीलों के तौर पर उनसे बहस की है, बस वहां (हाईकोर्ट) जाइए।"

HRCEA तमिलनाडु राज्य में हिंदू मंदिरों और धार्मिक संस्थानों के प्रबंधन को नियंत्रित करता है। याचिकाकर्ताओं ने संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत मामला दायर किया, जिसमें तर्क दिया गया कि यह अधिनियम उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।

उन्होंने दावा किया कि कानून राज्य सरकार को हिंदू मंदिरों को नियंत्रित करने और उनका प्रशासन करने की अनुमति देता है, जो उनके अनुसार संविधान के अनुच्छेद 21, 25 और 26 के विरुद्ध है।

याचिकाकर्ता नंबर 1 रिटायर्ड सैन्य अधिकारी है, जो याचिकाकर्ता नंबर 2 - सरयू फाउंडेशन पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट में पदाधिकारी के रूप में कार्यरत है। याचिकाकर्ताओं ने HRCEA को पूरी तरह से समाप्त करने की मांग की थी।

याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व एडवोकेट आनंद प्रसाद, विपिन त्यागी और एओआर सिद्धार्थ शर्मा ने किया।

केस टाइटल: सी.एम. रामकृष्णन बनाम तमिलनाडु राज्य डब्ल्यू.पी.(सी) संख्या 000436/2024

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