सुप्रीम कोर्ट ने मानवाधिकार कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को 31 अगस्त से 10 सितंबर तक मलेशिया के सेलंगोर की यात्रा करने की अनुमति दी। इस यात्रा का उद्देश्य नस्लवाद विरोधी सम्मेलन में भाग लेना है।
जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की बेंच ने दो शर्तों के अधीन अनुमति दी। पहली, उन्हें अंडरटेकिंग दाखिल करनी होगी, जिसमें कहा जाएगा कि सीतलवाड़ उक्त अवधि के बाद वापस आ जाएंगी। दूसरी, 10 लाख रुपये की सॉल्वेंट सिक्योरिटी भी जरूरी है। इसके अलावा, सम्मेलन समाप्त होने के बाद पासपोर्ट वापस करना होगा।
बात दें कि वर्ष 2023 में 2002 के दंगों के मामलों में कथित तौर पर सबूत गढ़ने के मामले में गुजरात पुलिस के मामले में सीतलवाड़ को नियमित जमानत दी गई थी।
जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने गुजरात हाईकोर्ट के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें उन्हें नियमित जमानत देने से इनकार किया गया था। जमानत के लिए लगाई गई शर्तों में से एक यह थी कि सीतलवाड़ का पासपोर्ट सत्र न्यायालय की हिरासत में रहेगा।
वर्तमान आवेदन में सीतलवाड़ ने तर्क दिया कि उन्हें पुसत कोमास द्वारा आयोजित नस्लवाद विरोधी राष्ट्रीय 'गैर-भेदभाव पर 12वें राष्ट्रीय सम्मेलन' के लिए पैनलिस्ट के रूप में निमंत्रण मिला है।
गुजरात पुलिस की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आवेदन का विरोध किया।
सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल और एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड अभिमन्यु श्रेष्ठ सीतलवाड़ की ओर से पेश हुए।
केस टाइटल: तीस्ता अतुल सीतलवाड़ बनाम गुजरात राज्य बनाम डायरी संख्या - 35856/2024