मणिपुर ऑडियो टेप में छेड़छाड़, आवाज का मिलान संभव नहीं: NFSL ने सुप्रीम कोर्ट को दी जानकारी

Update: 2025-11-03 08:36 GMT

मणिपुर में 2023 में हुई जातीय हिंसा से जुड़े महत्वपूर्ण मामले में राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (NFSL) गांधीनगर ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि कथित तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह को फंसाने वाले ऑडियो रिकॉर्डिंग वाले साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ की गई है।

प्रयोगशाला ने निष्कर्ष निकाला कि वे वैज्ञानिक रूप से आवाज तुलना के लिए फिट नहीं हैं, इसलिए वक्ताओं की समानता या असमानता पर कोई राय नहीं दी जा सकती।

जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस आलोक अराधे की खंडपीठ सोमवार को इस मामले की सुनवाई कर रही थी।

अदालत कुकी ऑर्गनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स ट्रस्ट द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें ऑडियो क्लिप की कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग की गई।

NFSL द्वारा सीलबंद लिफाफे में प्रस्तुत रिपोर्ट की समीक्षा करने के बाद जस्टिस संजय कुमार ने निष्कर्षों को पढ़ते हुए कहा,

"चार साक्ष्यों में संशोधन और छेड़छाड़ के संकेत मिले हैं। इसलिए वे निष्कर्ष निकालते हैं कि क्लिप बदले हुए हैं। मूल स्रोत रिकॉर्डिंग नहीं हैं और फोरेंसिक आवाज तुलना के लिए वैज्ञानिक रूप से फिट नहीं हैं।"

खंडपीठ ने आगे कहा कि परिणामस्वरूप, प्रश्नगत वक्ताओं और नियंत्रण क्लिप में वक्ताओं की समानता और असमानता पर कोई राय नहीं दी जा सकती।"

याचिकाकर्ता कुकी ऑर्गनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स ट्रस्ट की ओर से पेश हुए एडवोकेट प्रशांत भूषण ने एक अलग फोरेंसिक रिपोर्ट का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि निजी लैब ट्रुथ लैब्स द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में पाया गया कि 50 मिनट की रिकॉर्डिंग (Y1 के रूप में चिह्नित) असंपादित (Unedited) है और आवाज का मिलान नियंत्रण नमूने (Control Sample) में उसी व्यक्ति की आवाज से होने की 93% संभावना थी।

इस पर जस्टिस कुमार ने जवाब दिया कि याचिकाकर्ता को NFSL की रिपोर्ट दी जाएगी ताकि वह उसका जवाब दाखिल कर सकें।

भूषण द्वारा यह कहे जाने पर कि ट्रुथ लैब्स का एक विश्वसनीय रिकॉर्ड है जस्टिस कुमार ने टिप्पणी की,

"हम नहीं जानते, क्योंकि यह (NFSL) प्रमुख फोरेंसिक लैब मानी जाती है।"

भूषण ने इस पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा,

"हां, लेकिन यह एक सरकारी लैब है। और आपके लॉर्डशिप जानते हैं कि आज जब सरकार उन्होंने यह भी जोड़ा कि "एक साल से अधिक समय पहले इसे सरकार को भेजा गया और फिर भी इतनी हानिकारक बातचीत के बावजूद सरकार द्वारा इसकी जांच नहीं की गई।"

केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने NFSL रिपोर्ट का समर्थन करते हुए कहा कि रिपोर्ट में विवादित रिकॉर्डिंग में छेड़छाड़ पाई गई।

मेहता ने मामले में आगे किसी भी हस्तक्षेप के खिलाफ भी सलाह दी, यह कहते हुए कि राज्य में अब शांतिपूर्ण स्थिति है, और "इस पर दखल नहीं देना चाहिए।"

अदालत ने रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि NFSL की अंतिम केस रिपोर्ट की प्रति दोनों पक्षों के वकील को उपलब्ध कराई जाए।

मामले की अगली सुनवाई 8 दिसंबर को होगी।

इससे पहले अगस्त, 2025 में अदालत ने ऑडियो क्लिप को गांधीनगर स्थित NFSL को फोरेंसिक जांच के लिए भेजने का निर्देश दिया था, क्योंकि गुवाहाटी फोरेंसिक साइंसेज लैबोरेटरी की पिछली रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से यह नहीं बताया गया कि आवाज तत्कालीन मुख्यमंत्री की आवाज से मेल खाती है या नहीं।

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